हाथ सटकुनियाँ हो दीनानाथ, पयर खड़ाम । कान्ह जनउआ ही दीनानाथ, चलि भेला मन्दीर । गोवर आणि - गेलिए हो दीनानाथ, गैया के बथान । गया के चरण हवा ही दीनानाथ, लल ललय । दुरे से दुर जा बाझिन, मारा गया होयत चाँझ । मऽ सऽ जे एलिए हो दीनानाथ, देहरी बैसल झमाय । कोने अपगुणिये हो दीनानाथ, बझिनिया पड़ल नाम । नाम ः लिए हो दोनों डोडा अंगना । डोडा के बेटे हो दीनानाथ, ले लुलिया । दूरे रह दूर गे बाझिन, मोर पुतहै होयत बाँझ । औत सङ के लिए हो दीनानाथ, देहरी चैसल माय ।। कोने अयि सी दीनानाथ, बेधनियाँ पड़ल नाम धूप लेते हो दीनानाथ, तरथ खिआयल । दीप लेते हो दोताना, चुटकी खिल । तयो ने फुटले ६ दीनानाथ, बाँझीपद नाम । सासु मरे दुत का हो दीनानाथ, ननदि पढे गारी । परक जनमत गोतनी हो दीनानाथ उलहन दे पुत्र के देवी गे कुरान, गौरव मुनि कर । पौरव जे करे तो दो दिन, छीनिये लव । पत्र में देते हो नाना, जुनि जुनि लेब छोड़ा पद पूछते हो दीनानाथ, मराठी पड़ते नाम ।
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