एहन सन धनवानक नगरी मे बाया बना देलहुँ भिखारी ।
नहि मांगल कैलासपुरी हम, झारखंड ओ बाड़ी
नहि मांगल विश्वनाथ मंदिर, ने हम महल अटारी
वतहवा वना देल है भिखारी ।
एक भजन होए जटा तोडि नोचि लेतहु सब दाढ़ी
बसहा बरद के डोरी य भारि तहु पैना चारि
बाबा बना देलो हूं भिखारी ।
दोसर मौन होइए अहाँके बिकौटितौं, धऽ कऽ मरम पर हाथ
से अपने बियाहल अन्नपूर्णा, देखलौ नयना चारि
बाबा बना देलहुँ भिखारी ।
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