बाबा ठोकने छी बज़ केवार, हम दुआर न हो की ।। बाबा खोलू ने बस केवार, हर एआर ४ ॥ गंगा निकट से जल भरि लेलन हैँ, आहाँ के लेल वा कार जेल। कधी तऽ गेल दुखाई, बाबा दुआरि थे। बाद अंत । मलीया बाड़ी सऽ फल लोदि लेल, आहाँ के लेल बाबा लागल। बाबा हाथे त गेल दुखाई, दुआरि धेने ठाढ भेल छी कर्पूर गौरं, करुणा वतारं, संसार सारं, भुजगेन हारम सुदा वसंत, हृदयारविन्दे, भवम् भवानी, सहितं नमामि बाबा सब मंत्र देलह सुनाई, दुआरी देने ठा ई मेल ली बाबा ठोकने छी बज़ केवार, हम दुआरि धेने वाढ भेल छ 🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀 रहि-रहि पीस पड़े भंगिया, हम नैहरवा कहिया जाए। जखने ओ भोरे अन्ना अबैत छथि, भांग घोटना के मांगो करैत छधि । | थर-थर कांपे मोरो बदनमा, हम नैहरवा कहिया जाए। जलने ओ भोरे अङना अवैत छथि, भाँग घोटना के मांग करैत छकि। कार्तिक हरा देलन्हि भांग घोटना, । आम नैहरवा कहिया जाएब । कार्तिक गनपति दुइ ललनमा, खाए क कारण कर हरनमा । गति गेल कोमल सनके बदनमा, हम नहरवा कहिया जाएव ।। रहि-रहि पीसऽ पड़ैए भंगीया, हम नैहरवा कहिया जाए ।
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