चानन बुझि हम रोपल सजनी गे, भय गेल सिमरक गाछ सजनी गे। ताहि गामक पहु जागल सजनी गे, चलि भेल पहु परदेश सजनी गे । बारह बरख पर आयल सजनी गे, लाओल कंगही सनेस सजनी गे ताही कंगही लए लट हम झारल, रचि रचि कयलहुँ शृंगार सजनी गे खोइछ भरि लोढ़लहुँ चंगेरी भरि सजनी गे, सब फूल सेजिया लगैब सजनी गे
Maithli lokgeet