सूतलि छलहँ हम एकसरि सजनी गे, निन्दमे उठल चेहाय सजनी गे। सपना मे देखल पहु आयल सजनी गे, तखने टुटल मोर निन्द सजनी गे । देखल कहाँ पहु मोर सजनी गे, केकरा कहब बुझाइ सजनी गे । मोर दिल के बतिया, के मोहि करत दुलार सजनी गे । भाग केहन थिक सजनी गे, हुनकहि किए देब दोख सजनी गे । भनहि विद्यापति सुनू सजनी गे, स्वप्न नही विश्वास सजनी गे
Maithli lokgeet