देखिते भोला के सुरतिया, सखिया पागल भेलै सासू
अंग विभूतिया गले सर्पमाला, पहिरन हिनकर बाधक छात्र को
बसहा के कएल पलकिया, से सखिया पागल भेलै २० मस्त
हाथ ।
त्रिशूल
डमरू बजाबे,
जटामे गंगा विरवे पेसे
रूमाल हृदय बिच लटक, भूत पिशाच बरिअति ।।
से सखिया पागल भेलै ना०
हाला डौलाने भांग-धथुरा, रहनि ने एको मिठाइ ।
पौती-पेटारी नाग भरल अछि, मारे ठोढ़ फुकारी ।।
से सखिया पागल भेलै ना०
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