आज नाथ एक व्रत महासुख लागय है ।
आहे तोहे शिव धरू नटवेप कि इमरू बजाते हैं।
तो तो कहै ऽ गौरा नाचय हम कोना नाचब हे !
चारे सोच मोरा लागय कओन विधि नाचब हे ।
अमत चंबिय मूमि खसत बघम्बर जागत है ।
होयत बाघम्बर बाघ बसहा धय खायत है ।
शा से ससरि सभी साँप हो दिश जायत हे !
आहे कार्तिक पोसल मयूर सेहो धय खायत है ।
जैसे छलकत गंगा भूमि पटि जायत है।
आहे होतं हसमुख धार समेट लो ने जायत है ।
मुण्डमाल टुटी खसत मसानी जागत है !
आहे तोहे गौरा जयव पडाय नाच के देखत हे ।
भनहि विद्यापति गाल गाना सुनना है ।
आहे राखल गौरीक मान सदाशिव शंकर है ।
सखि जोगी एक ठाढ़ अंगनमा में
अंगना मे, हे अगनमा मे
सांपहि-सांप बाम-दहिन छल
चित्र-विचित्र सनम
में
नितिन भीख कति से लायब
घुरि फिरि जाहु अंगनमा में
भीख के लिए जोगी, घुरिये ने जाइ
गोरी है निकल अंगनमा में
भनहि विद्यापति सुर है मनाइन
शिव सन दानी क भुवनमा में
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