गौरा तोरा अङना बड़ अजगुत देखल तोर अङना ।
एक दिस बाघ सिंह करै हुलना
दोसर बरद छैन सेहो बउना ।
पेंच उधार लए गेलहुँ अडना
सम्पत्ति के मध्य देखल भाँग घोटना ।
खेती ने पथारी शिव के गुजर कोना
मॅगनी के आस छनि बरिसो दिना ।
कार्तिक गणपति दुइ जन बालक
एक चढे मोर एक मूस लदना ।
भनहि विद्यापति सुनु उदना
दारिद्र हरण करू धेल शरणा । गौरा०
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