बाबा ठोकने छी बज़ केवार, हम दुआर न हो की ।।
बाबा खोलू ने बस केवार, हर एआर ४ ॥
गंगा निकट से जल भरि लेलन हैँ,
आहाँ के लेल वा कार जेल।
कधी तऽ गेल दुखाई, बाबा दुआरि थे। बाद अंत ।
मलीया बाड़ी सऽ फल लोदि लेल,
आहाँ के लेल बाबा लागल।
बाबा हाथे त गेल दुखाई, दुआरि धेने ठाढ भेल छी
कर्पूर गौरं, करुणा वतारं, संसार सारं, भुजगेन हारम
सुदा वसंत, हृदयारविन्दे, भवम् भवानी, सहितं नमामि
बाबा सब मंत्र देलह सुनाई, दुआरी देने ठा ई मेल ली
बाबा ठोकने छी बज़ केवार, हम दुआरि धेने वाढ भेल छ
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रहि-रहि पीस पड़े भंगिया,
हम नैहरवा कहिया जाए।
जखने ओ भोरे अन्ना अबैत छथि,
भांग घोटना के मांगो करैत छधि ।
| थर-थर कांपे मोरो बदनमा,
हम नैहरवा कहिया जाए।
जलने ओ भोरे अङना अवैत छथि,
भाँग घोटना के मांग करैत छकि।
कार्तिक हरा देलन्हि भांग घोटना,
। आम नैहरवा कहिया जाएब ।
कार्तिक गनपति दुइ ललनमा,
खाए क कारण कर हरनमा ।
गति गेल कोमल सनके बदनमा,
हम नहरवा कहिया जाएव ।।
रहि-रहि पीसऽ पड़ैए भंगीया,
हम नैहरवा कहिया जाए ।
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