सभहक दुख अहाँ हरे छी भोला, हमरा किए बिसरै छो यो ।
हमहूँ सेवक अहीं के भोला, कोनो विधि निम छो यो ।
कपारो फटल, बेमायो फादल, किन्तु हम चलै छो यो ।
द्वारे डाढ़ अहाँकै हमहूँ, पापी जानि टरै छो यो ।
सेवक अहाँक पुकारि रहल अछि, झाड़खण्ड बैसत छो यो ।
आचों कृपा करू प्रभु हमरा पर, दुखिया देखि भुलै छी यो ।
त्रिभुवन नाथ दिगम्बर भोला, सभटा अहाँ जनै ॐ यो ।
बम-बम भैरो हो भूपाल,
अपनी नगरिया भोला, खेबि लगाऽ शर।
कथी के नाव-नेवरिया, कथ्ी करूआरि,
कोने लाला खेवनहारे, कोन उतारे पार ।
सोने केर नाव-नेवरिया, रूपे करूआरि,
भैरो लाला खेबनहारे, भोला उतारे पार ।
जै तोहें भैरो लाला खेबि लगायब पार,
मोतीचूर के लडुआ चदाब परसाई ।
हाथी चलै, घोड़ा चलै, पड़ै निशान,
बाबा के कमरथुआ चले, उठै धमसात ।
छोटे-मोटे भैरो लाला, हाधीमे गुलेल,
शशिधर के दोगे-दोगे रहथि अकेल ।
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