राखब की सबदीन दानी दुखक जनजालमे ।
लीखने की नई छी बाजू सुख हमरा भागमे ।।
दौरल-दौरल भटकल-भटकल द्वार अहाँके एलौंह ।
अहाँ कृपा ने केलहुँ दानी ते दुखिया हम भेलीह ।
एको बेरने घुमि कऽ तकै छो, छी भाँगक तालमे ।
लीखने की नई छी याज़ सुख हमा भागमे 1
दल फाटल टुटली मरया चस्व होन हम भेलोंह
अहाँ कृपा नहि केलौंह दानी से दुखिया हम भेलौंह ।
एक बेर ने चुमि कऽ तक छी, छी अप्पन तालमे ।।
लीखने की नई छो बाजू सुख हमरा भागमे ।।
भाँगक पुरीया बटोरि-बटोरि क कर्महीन हम भेलीह ।
एको बेर ने घुमि क तर्क छी, छी भाँगक तालमे ।
लीखने की नई छी बाजू सुख हमरा भागमे 1
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