बरजु ने अपन कन्हैया, यशोदा मैया ।
पनिया भरन गेलों यमुना किनारे ।
फोरि देल हमरी गगरिया, यशोदा० ।
दही बेचय गेलहुँ वृन्दावन ।
छीन खायल मोर दहिया, यशोदा० ।
गैया चराबय गेलहुँ वन जंगल ।
फारि देल मोर सरिया, यशोदा० ।
चले श्याम सुन्दर से मिलने सुदामा ।
गाते चलो मन मे हरे कृष्ण रामा ।
लोटा ओ डोरी कन्धे लटकाये ।
ताण्डुल की गठरी बगल मे दबाये ।
पहुँचे विप्र द्वारिकापुरी धामा 1 गाते०
छोड़ि सिंहासन प्रभु उठि धासे ।।
सखा बन्धु कहि गले लगाये ।
पुलक पसीजे धनश्यामा । गाते
Bahut nic
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