कथी के चौखण्डी माता कथी के चौपारि ा
कधी के ओढनी विसहरि खेले जुआ सारि ।
सोना को चौखण्डी मैया रूप चौपाई ।
तुलसी ओठडनी विषहरि खेले जुआ सारि ।
खेले धुपत विषहरी गेली अलसाय ।
सिरमा बैसल भगता बेनिया डोलाय ।
कहाँ तोर आसन-बासन कहाँ निज धाम 1
कोने दाइक बेटी थिकी कि धिक नाम ।
मैना तोहर आसन-वासन वैह ठीक नाम ।
गौरी दाइक बेटी थिको बिसहरि नाम ।
जोडी लागल छागर देव रहू एहि ठाम ।
सदा दहिन रहू होइयो ने बाम ।
सावन विषहरी लेलनी प्रवेश ।
भादव विषहरि खेलल झिलहरि ।
आसिन विषहरि भगता लेल पान ।
कार्तिक विषहरि नयना झरू नोर ।
अगहन विषहरि होयतीह अनमोल ।
सभ दिन सभ ठाम रहथि सहाय ।
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