विषहरिक गीत
पियर अँचरी विषहरि के नामी-नामी केश ।
घुमइत एली विषहरि तिरहुत देश ।
तोहरो सिंगार विषहरि लाबा आ दुध ।
हमरो सिगार विषहरि सिर के सिन्दूर ।
तोहरो सिंगार विषहरि अड़हुल फूल ।
हमरो सिंगार विषहरि कोर भरि पूत ।
फल बीच गुअबा नैवेद्य बीच पान ।
देवी बीच विषहरि मैया दोसर नहि आन 1
साओन मास नागपञ्चमी भेल ।
विषहरि गहवर सोहावन भेल ।।
केओ नीपे गहवर केओ चौपारि ।
हमही अभागिन निपी दुआरि ।
केओ लोढे अढूल केओ बेलपत्र ।
हमहु अभागिन हरियर दूबि
केओ माँगे अनधन केओ माँगे पूत ।
हमहू अभागिन सिरक सिन्दूर ।
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