गोकुल के बगियामे भोर दुपहरिया मे,
बाजे कोइली घमसान
बाँसुरी के धुन सुनि जिया घबराइ छ,
देखि-देखि कृष्ण कन्हाइ नितराइ छै ।।।।
मिलि जुलि खेलबा लेल संग-संग खेलबा लेल,
काटै छै अहूरिया प्राण 1गो०।
बीच सभामे द्रौपदी पड़ल छै,
अपन रहैत सब अनाथे बनल छै
लाजो बचाय लेल दै छै सुदर्शन चक्र,
देखही केहन छै बसुरिया के तान 1 गो०
नहाय सोनाय गोपी आबि बैसल छै,
माखन खैबा लेल काटै अहरिया प्राण ।
देखही केहन छै बसुरियाक तान (गो०।।
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