किये गौड़ी सँ चोराकऽ भोला भाँग खेलियै ।
सब दिन बसहा चरेलियै ने आराम केलियै ।।
हम छी भोला अहीं के पुजारी, फुलवा लेलौह भरि-भरि थारी
किये पूजा के बेर भोला कैलाश चलि गेलौह यो ।।
हम छी भोला अहीं कर पुजारी, जलवा लेलौंह भरि-भरि गगरी ।
किये पूजा के बेर भोला द्वितीया के चान भँ गेलौंह यौ ॥
बम-बम भैरो हो भूपाल, अपनी नगरिया भोला, खेबि लगाबऽ पार । कथी के नाव-नेवरिया, कथी करूआरि, कोने लाला खेवनहारे, कोन उतारे पार । सोने केर नाव-नेवरिया, रूपे करूआरि, भैरो लाला खेवनहारे, भोला उतारे पार । जँ तोहें भैरो लाला खेबि लगायब पार, मोतीचूर के लडुआ चढायब परसाद । हाथी चलै, घोड़ा चलै, पड़ै निशान, बाबा के कमरथुआ चलै;, उठै घमसान । छोटे-मोटे भैरो लाला, हाथीमे गुलेल, शशिधर के दोगे-दोगे रहथि अकेल सखि हे सुनै छलिएन शिव बड़ सुन्दर, मुदा देख छिऐ रूप भयंकर है| सखि हे सुनै छलिऐन शिव औता गज चलि हे, मुदा शिव ऐला बड़द चढ़ा है । सखि हे सुनै छलिऐन शिव के पिताम्बर हे, मुदा देखे छिऐन ओढने बाघम्बर हे । भनहि विद्यापति गावल, शिव सुन्दर वर गौरी पावल
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