ऊँची रे अटरिया पर विषहरि माय,
राम, नीची रे अटरिया पर सोनरा के भाय ।
देबौ रे सोनरा भाइ डाला भरि सीन,
राम, गढि दिअनु विषहरि क कलस पचास
बाट रे बटोहिया कि तोहें मोर भाइ,
राम, कहबनि विषहरिके कलस लय जाइ
तोहरो विषहरि के चिन्हिया ने जानि,
| राम, कहबनि कोनाकः कलस लय जाय ।
हमरो विषहरि के नामी-नामी केश,
राम, मुठी एक डॉर छनि अल्प वएस ।
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