तिलक लगौने धनुष काँध पर दूटा बालक बाढ़ छ ।
धूमि रहल छै जनक बागमे फूल तोड़े लेल ठाढ़
पुछै छै त कहै छै जे अवधक राजकुमार छै
श्याम ंग जे सब स सुन्दर ओएह सभक सरदार छ
काल्हि जे बजला राजा जनकजी दुनियामे नहि वीर छ ।
से सुनि कुदि उठला लक्ष्मणजी ई कोन भारी बात छै ।
चुटकी सँ मलि देवइ धनुष के ई कोन भारी बात छ ।
जखन रामजी धनुष तोडल मचि गेल जयजयकार छै।
संग सहेली सीता के कर सुन्दर सन जयमाल छै ।।०।।
बम-बम भैरो हो भूपाल, अपनी नगरिया भोला, खेबि लगाबऽ पार । कथी के नाव-नेवरिया, कथी करूआरि, कोने लाला खेवनहारे, कोन उतारे पार । सोने केर नाव-नेवरिया, रूपे करूआरि, भैरो लाला खेवनहारे, भोला उतारे पार । जँ तोहें भैरो लाला खेबि लगायब पार, मोतीचूर के लडुआ चढायब परसाद । हाथी चलै, घोड़ा चलै, पड़ै निशान, बाबा के कमरथुआ चलै;, उठै घमसान । छोटे-मोटे भैरो लाला, हाथीमे गुलेल, शशिधर के दोगे-दोगे रहथि अकेल सखि हे सुनै छलिएन शिव बड़ सुन्दर, मुदा देख छिऐ रूप भयंकर है| सखि हे सुनै छलिऐन शिव औता गज चलि हे, मुदा शिव ऐला बड़द चढ़ा है । सखि हे सुनै छलिऐन शिव के पिताम्बर हे, मुदा देखे छिऐन ओढने बाघम्बर हे । भनहि विद्यापति गावल, शिव सुन्दर वर गौरी पावल
Comments
Post a Comment