विषहरि विषहरि, करै छी पुकार ।
कतहुँ ने देखै छी, जननी हमार ।
तेल दे रे तेलिया, दीप दे रे कुम्हार ।
बाती दे रे पटबा भइया, लेसू प्रहलाद ।
नाव दे रे मलहवा भइया, धरू करूआर ।
जायब सरोवर-पार, होली अबेर ।
अबेर ।।
Maithli lokgeet
विषहरि विषहरि, करै छी पुकार ।
कतहुँ ने देखै छी, जननी हमार ।
तेल दे रे तेलिया, दीप दे रे कुम्हार ।
बाती दे रे पटबा भइया, लेसू प्रहलाद ।
नाव दे रे मलहवा भइया, धरू करूआर ।
जायब सरोवर-पार, होली अबेर ।
अबेर ।।
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