यो अहाँ बाबा बैदनाथ
कते के कयलहुँ सनाथ
अयलहुँ हमहूँ अनाथ, अहाँक नगरियामे
नेने गंगाजल केर भार
ढूढंल जंगल आर पहाड़
अयलहुँ हमहूँ अनाथ, अहाँक नगरियामे
नेने फूल बेलपात
ताकी जंगल आ कैलाश
अयलहुँ हमहूँ अनाथ, अहाँक नगरियामे
नेने चानन ओ अक्छत
ताकी जंगल आ कैलास
अयलहुँ हमहूँ अनाथ, अहाँक नगरियामे
कते के कयलहुँ सनाथ
अयलहुँ हमहूँ अनाथ, अहाँक नगरियामे
नेने गंगाजल केर भार
ढूढंल जंगल आर पहाड़
अयलहुँ हमहूँ अनाथ, अहाँक नगरियामे
नेने फूल बेलपात
ताकी जंगल आ कैलाश
अयलहुँ हमहूँ अनाथ, अहाँक नगरियामे
नेने चानन ओ अक्छत
ताकी जंगल आ कैलास
अयलहुँ हमहूँ अनाथ, अहाँक नगरियामे
Comments
Post a Comment