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बटगबनी। नदिया के तीरे तीरे चलु सखि धीरे धीरे । कि आहे उधो

नदिया के तीरे तीरे चलु सखि धीरे धीरे । कि आहे उधो बिनु हरि नदिया लगय भयाओन रे की गेलियै जे फूलक बाड़ी साड़ी मोर अटकल गाड़ी। कि आहे उधो हरि बिनु साड़ी क्यो ने छोड़ाबय रे की । जहिया सँ मधुपुर गेला कुबजी के बस भेला कि आहे उधो कुबजा सौतिनिआ कोना निबेरब रे की जाहि बाटे हरि गेला दुभिया जनमि गेल । कि आहे उधो दुभिया सुरतिया हिया मोर बोले रे की।