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Showing posts with the label महेशवानी

बाबा ठोकने छी बज़ केवार, हम दुआर न हो की ।।

बाबा ठोकने छी बज़ केवार, हम दुआर न हो की ।। बाबा खोलू ने बस केवार, हर एआर ४ ॥ गंगा निकट से जल भरि लेलन हैँ, आहाँ के लेल वा कार जेल। कधी तऽ गेल दुखाई, बाबा दुआरि थे। बाद अंत । मलीया बाड़ी सऽ फल लोदि लेल, आहाँ के लेल बाबा लागल। बाबा हाथे त गेल दुखाई, दुआरि धेने ठाढ भेल छी कर्पूर गौरं, करुणा वतारं, संसार सारं, भुजगेन हारम सुदा वसंत, हृदयारविन्दे, भवम् भवानी, सहितं नमामि बाबा सब मंत्र देलह सुनाई, दुआरी देने ठा ई मेल ली बाबा ठोकने छी बज़ केवार, हम दुआरि धेने वाढ भेल छ 🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀 रहि-रहि पीस पड़े भंगिया, हम नैहरवा कहिया जाए। जखने ओ भोरे अन्ना अबैत छथि, भांग घोटना के मांगो करैत छधि । | थर-थर कांपे मोरो बदनमा, हम नैहरवा कहिया जाए। जलने ओ भोरे अङना अवैत छथि, भाँग घोटना के मांग करैत छकि। कार्तिक हरा देलन्हि भांग घोटना, । आम नैहरवा कहिया जाएब । कार्तिक गनपति दुइ ललनमा, खाए क कारण कर हरनमा । गति गेल कोमल सनके बदनमा, हम नहरवा कहिया जाएव ।। रहि-रहि पीसऽ पड़ैए भंगीया, हम नैहरवा कहिया जाए ।

फिरथि शंभू के करनमा, गौरी दाइ त-तन में ना !महेशवानी

फिरथि शंभू के करनमा, गौरी दाइ त-तन में ना ! अन्न त्यागल, पानि त्यागल, त्यागल परनमा । बेलपात चिबाय गौरी राखल जीवनमा । गौरी दाइ वन-वन में ना० होम कयलनि, जाप कयलनि नारद बभनमा । गौरी के लिखल छल इहो बुढ़ सजनमा 1 गौरी दाइ वन-वन मे ना० इन्द्र के इन्द्रासन गेलय, विष्णु के असनमा । शंकर के कैलाश डोलय, बहय रे पवनमा ॥ गौरी दाइ वन-वन मे ना० फिरय शंभू के करनमा, गौरी दाइ वन-वन मे ना ! बाबा ठोकने छी बज केवार, हम दुआरि धेने ठाढ भेल छी । बाबा खोलू ने बज केवार, हम दुआरि धेने ठाढ भेल छी । गंगा निकट सँ जल भरि लेलहँ, आहाँ के लेल बाबा कामर सजेलहँ । कंधा तऽ गेल दुखाई, बाबा दुआरि धेने आढ़ भेल छी । भलीया बाड़ी सऽ फूल लोढि लेलहुँ, आहाँ के लेल बाबा माला गधेलहुँ । बाबा हाथे तऽ गेल दुखाई, दुआरि धेने ठाढ़ भेल छी । कपुर गौर, करुणा वतार, संसार सारं, भुजगेन हारं ! सदा वसंते, हृदयारवीन्द, भवम् भवानी, सहितं नवामी । बाबा सब मंत्र देलौह सुनाई, दुआरि धेने ठाढ़ भेल छी । बाबा ठोकने छी बज़ केवार, हम दुआरि धेने ठाढ़ भेल छी ।

आज नाथ एक व्रत महासुख लागय है । आहे तोहे शिव धरू नटवेप कि इमरू बजाते हैं।

आज नाथ एक व्रत महासुख लागय है । आहे तोहे शिव धरू नटवेप कि इमरू बजाते हैं। तो तो कहै ऽ गौरा नाचय हम कोना नाचब हे ! चारे सोच मोरा लागय कओन विधि नाचब हे । अमत चंबिय मूमि खसत बघम्बर जागत है । होयत बाघम्बर बाघ बसहा धय खायत है । शा से ससरि सभी साँप हो दिश जायत हे ! आहे कार्तिक पोसल मयूर सेहो धय खायत है । जैसे छलकत गंगा भूमि पटि जायत है। आहे होतं हसमुख धार समेट लो ने जायत है । मुण्डमाल टुटी खसत मसानी जागत है ! आहे तोहे गौरा जयव पडाय नाच के देखत हे । भनहि विद्यापति गाल गाना सुनना है । आहे राखल गौरीक मान सदाशिव शंकर है । सखि जोगी एक ठाढ़ अंगनमा में अंगना मे, हे अगनमा मे सांपहि-सांप बाम-दहिन छल चित्र-विचित्र सनम में नितिन भीख कति से लायब घुरि फिरि जाहु अंगनमा में भीख के लिए जोगी, घुरिये ने जाइ गोरी है निकल अंगनमा में भनहि विद्यापति सुर है मनाइन शिव सन दानी क भुवनमा में

देख सखि दाइ माइ, ठबलक बभना आई ।महेशवानी

देख सखि दाइ माइ, ठबलक बभना आई । पहिने सुनैत छलियनि जस तीन भुवन, आब सुनैत छियनि घर नहिं अंगना । भोला के माय-बाप नहि केयो छनि अपना, । गौरी के सासु-ननदि सब सपना । गौरी तप कयलनि रात दिना, तिनका एहन वर देल विघना । भनहि विद्यापति सुनु मैना, नाचथि सदाशिव भरि अंगना । नारद ढहुत बुझा हम कहलहुँ गौरी लय एहन वर अनलहुँ यो । हमरो गौरी छथि बारह बरख केर बुढ़वा वर लय अयलहुँ यो । नारद बड़ अजगुत अहाँ कयलहुँ गौरी लय एहन बर लयलहुँ यो । तीनि भुवन वर कतहुँ न भेटल तँ घर घुरि फिरि अबितहुँ यो । बारि गौरी छथि अल्प बयस केर कनिको नहि बिचारलहुँ यो । भनहि विद्यापति सुनिय मनाइनि त्रिभुवन पति लय अयलहुँ यो ।

चलु सखि देखय गौरी के बरियाती है ।महेशवानी

चलु सखि देखय गौरी के बरियाती है । देखइते बूढ वर फाटे मोर छाती है। गाल चोटकल मुँह टुटल छै दतिया हे । हँसबो के लुरि नहि विकट सुतिया हे । देखि देखि बुढ़ लयला जमइया है । माथा पीटि छाती पीटि कानए गौरीक माय है। चुप करू सखी सब नीति समुझाय है ।

दुर-दुर छीया ए छोया, एहन बौराहा संग जयती कोना धीया

दुर-दुर छीया ए छोया, एहन बौराहा संग जयती कोना धीया पाँच मुख बीच शोभनि तीन अंखिया, सह-सह नचै छनि साँप सखिया दुर-दुर छीया ए छीया.. |काँख तर झोरी शोभनि, धथुर के वीया, दिगम्बर के रूप देखि साले मैना के हीया दुर-दुर छीया ए छीया....... जै धीया के विष देथिन पिआ, कोहबर में मरती धीया

कोना करू सम्मान महादेव, सम्मानक ओरियान कहाँ महेशवानी

कोना करू सम्मान महादेव, सम्मानक ओरियान कहाँ गरोद के अभिलाषा मनमे से जानथि भगवान कहाँ अपने तऽ एल ई जनि जगमे, आनन्दक हिलकोर भेलड महिमा अहाँके जगत विदीत अछि, ई जनि जगमे सोर भेल ।। अपने के रूप अछि गंधर्व, बाघम्बर लेपटौने छो महिमा अहाँके जगत विदित अछि, असली रूप नुकौने छो । स्वागत अछि श्रीमान अहाँके, किन्तु मनोहर अछि गान कहा। कोना करू सम्मान महादेव, सम्मानक ओरियान कहाँ ॥

चन्द बदन हमरो गौरी छथि,महेशवानी

चन्द बदन हमरो गौरी छथि, सूर्य ज्योति करब जमाई रो मा नारद मुनीनी के किछुओ ने बीगारल, आनि देल बुढ़वा जमाई गे माई । कान लगली खीजऽ लगली माइ मनाईन, झखऽ लगला ऋषि सन बाप ने माई । जुनि कानु जुनि खीजु माय मनाईन, जुनि श ऋषि सन बाप गे माई । हमरो कर्म में इहे वर लीखल भना। लीखल मेटल नहि जाइ गे माई ।

सोना सन धीया के बुढ़वा जमाई, कोना रहबै गे माईमहेशवानी

सोना सन धीया के बुढ़वा जमाई, कोना रहबै गे माई सासु मनाइन परीछन जाय, देखिते मनाइन के नाग फफकाई । कोना रहबे गे माई० मस्तक के उपर शीव के जटा बहे नीर, पेरो मे शीव जी के फाटल बेमाय, देखि जीया घबराई । कोना रहबै गे माई० भादव मास गौरी जेती दुहाई, कोना रहबै गे माई ।

गे माई हम नहि शिव सँ गौरी बिआहब, मोर गौरी रहती कुमारि ।महेशवानी

गे माई हम नहि शिव सँ गौरी बिआहब, मोर गौरी रहती कुमारि । गे माई भूत-प्रेत बरिआती अनलनि, मोर जिया गेल डेराइ । गे माई गालो चोटकल, मोछो पाकल, पयरोमे फाटल बेमाइ । गे माई गौरी लए भागब, गौरी लए जायब, गौरी लए पड़ायब नइहर । गे माई भनहि विद्यापति सुनू हे मनाइनि, इहो थिका त्रिभुवननाथ शुभ-शुभ कए गौरी के बियाहू, तारू होउ सनाथ गे माई

गौरा तोरा अङना बड़ अजगुत देखल तोर अङना ।

गौरा तोरा अङना बड़ अजगुत देखल तोर अङना । एक दिस बाघ सिंह करै हुलना दोसर बरद छैन सेहो बउना । पेंच उधार लए गेलहुँ अडना सम्पत्ति के मध्य देखल भाँग घोटना । खेती ने पथारी शिव के गुजर कोना मॅगनी के आस छनि बरिसो दिना । कार्तिक गणपति दुइ जन बालक एक चढे मोर एक मूस लदना । भनहि विद्यापति सुनु उदना दारिद्र हरण करू धेल शरणा । गौरा०

महेशवानी देखिते भोला के सुरतिया, सखिया पागल भेलै सासू

देखिते भोला के सुरतिया, सखिया पागल भेलै सासू अंग विभूतिया गले सर्पमाला, पहिरन हिनकर बाधक छात्र को बसहा के कएल पलकिया, से सखिया पागल भेलै २० मस्त हाथ । त्रिशूल डमरू बजाबे, जटामे गंगा विरवे पेसे रूमाल हृदय बिच लटक, भूत पिशाच बरिअति ।। से सखिया पागल भेलै ना० हाला डौलाने भांग-धथुरा, रहनि ने एको मिठाइ । पौती-पेटारी नाग भरल अछि, मारे ठोढ़ फुकारी ।। से सखिया पागल भेलै ना०

महेशवानी आई बाबा के अङना सोहान बहिना ।

आई बाबा के अङना सोहान बहिना । जना उतरल छै पूनम के चान बहिना 1 शाखा प्रशाखा जटा जूट शोभय ! लगे छै भोला भगवान बहिना ।। सब कियो चढ़ाबै छै जल फुल चानन 1 बहुतो त पान ओ मखान चहिना ।।। कीर्तन भजन अष्ट्यामों जतय होय । होइ अछि सलाना पुराण वी 'मधुकर' सभक ई मनोरथ पुरावथि । महिमा ॐ हिनकर महान बहिना 11

महेशवानी हम नहि जानल गे माई ।

हम नहि जानल गे माई । एहन बर नारद जोहि लौता, देखितहि सब पड़ाद । तीन लोक के मालिक कहि-कहि हमरा देल पतिआई । अन्तिम पलमे भिखमंगा के लायल यर यनाई एकदिस गौरी केर मुह तक छी, दोसर बुढे जमा । ३ देखते मनमे होइत अछि, भरितहुँ जहर-विप छ । हम नहि जानल गे माई ।।

महेशवानी आए मथना के अडना सोहान बहिना ।

                महेशवानी आए मथना के अडना सोहान बहिना । जेना जूटल छै शोभा के खान बहिना ।। गौरी ओ शंकर युगल रूप भोहन । कए के सके अछि बखान बहिना । घर पर नगर ओ डगर पर विराजय । तानल वसन्त वितान जहिना 1 छवि के टापर कपिक घन घटा अछि। तै पर स्वर लय के जुटान बहिना *