यो अहाँ बाबा बैदनाथ कते के कयलहुँ सनाथ अयलहुँ हमहूँ अनाथ, अहाँक नगरियामे नेने गंगाजल केर भार ढूढंल जंगल आर पहाड़ अयलहुँ हमहूँ अनाथ, अहाँक नगरियामे नेने फूल बेलपात ताकी जंगल आ कैलाश अयलहुँ हमहूँ अनाथ, अहाँक नगरियामे नेने चानन ओ अक्छत ताकी जंगल आ कैलास अयलहुँ हमहूँ अनाथ, अहाँक नगरियामे
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