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कि कहू पहु परदेश गेल सजनी गे,आहे सखि किछु ने सोहाय सजनी गे बटगवनी

कि कहू पहु परदेश गेल सजनी गे, आहे सखि किछु ने सोहाय सजनी गे फूल केश नीर बहु सजनी गे, काजर गेल दहाय सजनी के। कंगन बहन भार भेल सजनी गे, यौवन भेल उतफाल सजनी गे आंगन मोरा लेखे बिजवान सजनी गे. । पर भेल दिवस अन्हार सजनी गे । जौ प्रीतम नहि आओत सजनी गे, मरब जहर-बिख खाय सजनी गे ।