काली क मंदिरियामे हम तिरिया, हम नोकरिया रहबै ना पौड़ी ओ चौपाडि निपबइ, नित उठि फूलो लोढ़बइ ना अड़हुल के हम हार बनएबइ, काली के पहिरेवइ । हम नोकरिया रहबै ना । ने हम सेवा छोड़वइ, ने हम शरण स जेबइ । नित दिन करब हम चाकरिया । हम *नोकरिया रहबै ना । मन सऽ पूजा हम करवाई, दुख अपना कहबे । होइथिन हमरा पर सहइया । हम नोकरिया रहबै ना ।
Maithli lokgeet