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Madhushravani Vrat Katha : सुहाग का अनोखा पर्व मधुश्रावणी, ऐसी है कथा

सावन शुक्ल तृतीया तिथि को सुहाग का पर्व हरियाली तीज और मधुश्रावणी का पर्व मनाया जा रहा है। मधुश्रावणी मुख्य रूप बिहार के मिथिला क्षेत्र में प्रचलित त्योहार है। सुहागन स्त्रियां इस व्रत के प्रति गहरी आस्था रखती हैं। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत पूजन से वैवाहिक जीवन में स्नेह और सुहाग बना रहता है। मधुश्रावणी व्रत को लेकर सबसे ज्यादा उत्साह और उमंग नवविवाहिता कन्याओं में देखने को मिलता है। नवविवाहित कन्याएं श्रावण कृष्ण पंचमी के दिन से सावन शुक्ल तृतीया तक यानी 14 दिनों तक दिन में बस एक समय भोजन करती हैं। आमतौर पर कन्याएं इन दिनों में मायके में रहती हैं और साज ऋंगार के साथ नियमित शाम में फूल चुनती हैं और डाला सजाती हैं। फिर इस डाले के फूलों से अगले दिन विषहर यानी नागवंश की पूजा करती हैं। श्रावण शुक्ल तृतीया के दिन इस पर्व का समापन मधुश्रावणी के रूप में होता है। इस पूरे पर्व के दौरान 14 दिनों की अलग-अलग कथाएं हैं जिनमें मधुश्रावणी दिन की रोचक कथा राजा श्रीकर और उनकी बेटी की है। मधुश्रावणी व्रत कथा राजा श्रीकर के यहां कन्या का जन्म हुआ तो राजा ने पंडितों को बुलवाकर उसकी कुंडली देखी। पंडितों ने

मधुश्रावणी व्रत कथा (Madhushravani Vrat Katha)

Madhushravani Vrat 2023 will start from 7th July and end on 19th August 2023. Due to मलमास, the vrat will be observed in two parts- from 7th to 17th July and 17th to 19th August. मधुश्रावणी व्रत बिहार के मिथिलांचल का मुख्य पर्व है। मधुश्रावणी का व्रत नव विवाहित औरतें अपने मायके में मनाती हैं। इस व्रत में पत्नी अपने पति की लंबी आयु की कामना करती है।  इस व्रत में विशेष पूजा गौरी शंकर की होती है। सावन का महीना आते ही मधुश्रावणी के गीत गूंजने लगते हैं। मधुश्रावणी की तैयारियों में सभी शादीशुदा महिलाएं जुड़ जाती हैं। यह त्योहार महिलाएं बहुत ही धूम धाम के साथ दुल्हन के रूप में सज धज कर मनाती हैं। शादी के पहले साल के सावन महीने में नव विवाहित महिलाएं मधुश्रावणी का व्रत करती है। सावन के कृष्ण पक्ष के पंचमी के दिन से इस व्रत की शुरुआत होती है। मधुश्रावणी जीवन में सिर्फ एक बार शादी के पहले सावन को किया जाता है। यह व्रत नवविवाहित महिलाएं करती है। नवविवाहित औरतें नमक के बिना 14 दिन भोजन ग्रहण करती है। इस व्रत में अनाज,  मीठा भोजन खाया जाता है। व्रत के पहले दिन फलों को खाया जाता है। यह पूजा लगातार 1