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Showing posts from June, 2019

हाथ सटकुनियाँ हो दीनानाथ, पयर खड़ाम ।

हाथ सटकुनियाँ हो दीनानाथ, पयर खड़ाम । कान्ह जनउआ ही दीनानाथ, चलि भेला मन्दीर । गोवर आणि - गेलिए हो दीनानाथ, गैया के बथान । गया के चरण हवा ही दीनानाथ, लल ललय । दुरे से दुर जा बाझिन, मारा गया होयत चाँझ । मऽ सऽ जे एलिए हो दीनानाथ, देहरी बैसल झमाय । कोने अपगुणिये हो दीनानाथ, बझिनिया पड़ल नाम । नाम ः लिए हो दोनों डोडा अंगना । डोडा के बेटे हो दीनानाथ, ले लुलिया । दूरे रह दूर गे बाझिन, मोर पुतहै होयत बाँझ । औत सङ के लिए हो दीनानाथ, देहरी चैसल माय ।। कोने अयि सी दीनानाथ, बेधनियाँ पड़ल नाम धूप लेते हो दीनानाथ, तरथ खिआयल । दीप लेते हो दोताना, चुटकी खिल । तयो ने फुटले ६ दीनानाथ, बाँझीपद नाम । सासु मरे दुत का हो दीनानाथ, ननदि पढे गारी । परक जनमत गोतनी हो दीनानाथ उलहन दे पुत्र के देवी गे कुरान, गौरव मुनि कर । पौरव जे करे तो दो दिन, छीनिये लव । पत्र में देते हो नाना, जुनि जुनि लेब छोड़ा पद पूछते हो दीनानाथ, मराठी पड़ते नाम ।

अपने तऽ जाइ छऽ हो भैया, देश रे बिदेशबा ।छठि

अपने तऽ जाइ छऽ हो भैया, देश रे बिदेशबा । हमरो लय लबिहऽ भैया, गहुमा सनेसबा । आबि गेलै हो भैया, छठि सन बरतिया । गहुम तऽ छै गे बहिन, बड़ रे महगबा । छोड़ि दहिन गे बहिन, छठि सन बरतिया । दीनानाथ देलखिन हो भैया, भाइ रे भतिजबा । हम कोना छोड़बे हो भैया, छठि सन बरतिया । ससुरा मे देलखिन हो भैया, सासु-ससुरबा। आरो जे देलखिन हो भैया, सीथ भरि सिनुरबा हँसैत-कनैत रहै कोख के बलकबा । हम कोना छोड़बे हो भैया, छठि सन बरतिया 1 करबै करबै हो भैया, छठि सन बरतिया । अपने तऽ जाइ छऽ भैया, देश र बिदेशबा । हमरा लय लबिहऽ भैया, केरा सनेसबा.... नेने अबिहऽ हो भैया, नारिकेर सनेसबा । नारिकेर तऽ छौ गे बहिन, बड़ रे महगबा । छोडि दहिन गे बहिन, छठि सन बरतिया ।। बेचि देबै हो भैया, हाथ के कंगनमा । खरीद लेबै हो भैया, केरा-नारिकेरबा । कैये लेबै हो भैया, छठि सन बरतिया ।।

कए कौस रोपलऽ हो दीनानाथ बेली चमेली छठि

कए कौस रोपलऽ हो दीनानाथ बेली चमेली कए कोस रोपलऽ हो दीनानाथ अतर गुलाब दस कोस रोपलऽ हो दीनानाथ बेली चमेली पाँच कोस रोपलऽ हो दीनानाथ अतर गुलाब i गंगाजल पटैब हो दीनानाथ बेली चमेली दूधे पटैब हो दीनानाथ अतर गुलाब । गला शोभे गे अबला बेली चमेली । देहे शोभे गे अबला अतर गुलाब 1 अपने तऽ जाइ छऽ हो भैया, देश रे बिदेशबा । हमरो लय लविहऽ भैया, गहुमा सनेसबा । आबि गेलै हो भैया, छठि सन बरतिया । गहुम तऽ छै गे बहिन, बड़ रे महगबा । छोड़ि दहिन गे बहिन, छठि सन बरतिया । दीनानाथ देलखिन हो भैया, भाइ रे भतिजबा । हम कोना छोड़बै हो भैया, छठि सन बरतिया । ससुरा में देलखिन हो भैया, सास-ससुरबा।

गोकुल के बगियामे भोर दुपहरिया मे, बाजे कोइली घमसान | भगवानी गीत

गोकुल के बगियामे भोर दुपहरिया मे, बाजे कोइली घमसान बाँसुरी के धुन सुनि जिया घबराइ छ, देखि-देखि कृष्ण कन्हाइ नितराइ छै ।।।। मिलि जुलि खेलबा लेल संग-संग खेलबा लेल, काटै छै अहूरिया प्राण 1गो०। बीच सभामे द्रौपदी पड़ल छै, अपन रहैत सब अनाथे बनल छै लाजो बचाय लेल दै छै सुदर्शन चक्र, देखही केहन छै बसुरिया के तान 1 गो० नहाय सोनाय गोपी आबि बैसल छै, माखन खैबा लेल काटै अहरिया प्राण । देखही केहन छै बसुरियाक तान (गो०।।

नामि नामि केशिया शवरी अंगना बहारय| भगवानी गीत

नामि नामि केशिया शवरी अंगना बहारय एहि बाटे औता हमरे घरवा हो रामा । मैटिक पात्र मे निर्मल गंगाजल चरण पखारब सीता रामा ! कुश आसन शबरी झाडि ओछाबय एहि पर बैसथिन्ह श्रीरामा, हमरे घरबा हो रामा। केरल के पात पर मेवा परोसय भोग लगौथिन श्रीरामा, हमरे घरबा हो रामा ।

राम गलती केलनि सीता के वन मे देलनि,| भगवानी गीत

राम गलती केलनि सीता के वन मे देलनि, छलइन गरभमे बालक लव कुश नाम स सीता शोभित मैथिली लोकगीत/४३ कुछ दिन बादेमे वालक भेलनि, हनी जंगल में कियो ने अपमान भलनि । सीता किसी ने खेलनि दुध वान सँ । सीता शोभित ने रहली श्रीराम से 1० चिट्ठी लीखैत छथि सीता ससुर नामसँ, माता कौशल्या अवध धाम से । राम कनियों ने बुझथि हमरो वचन, सीता शोभित ने रहली श्रीराम सं गा चिट्ठी लऽ जे हजाम अयोध्या गेलइ, सरयुगोके धाम पर राम जी भेजो भाई । अन्तर्यामी स्वामी छलाह, पत्र छिनलनि आ पढलनि अपन वाण से ॥०1 पत्र पडितो मे किछु अफसोचो भेलनि, वित्त अवसर गेलनि हमर नाम से । सीता शोभित ने रहली श्रीराम से ।io1 सीता लक्ष्मी छली । लव-कुश वनमे भेलनि, सीता शोभित नै रहली श्रीराम सं ।।२।।

पत्र लिखलनि जे सीता श्रीराम स,| भगवानी गीत

पत्र लिखलनि जे सीता श्रीराम स, फुलवारी में रासो रचेलौं अहाँ । ओतहि नैना मे नैना मिलेलौं अहाँ, पत्र लिखलनि जे सीता श्रीराम स ।० यदि हमारे सिनेमा अहाँ लंका गेहूं, शंख चूरी आ सिन्दूर एतहि अछि हमर । पत्र लिखलनि ज सीता श्रीराम सँ ।न लंका सँ आनि समस्या केलौं, अग्नि में ठाढ़े आहाँ परीक्षा लेलौं, एकटा धोबिया परबोधिया के कहला पर, ओ निकालने छथि हमरा ससुर धामसँ, पत्र लिखलनि जे सीता श्रीराम सं ।।२।। सांझ पड़ी गेल अवध मे अन्हारे जे अछि, कनी लक्ष्मण सँ कहबनि हमरो आशीष । पत्र लिखलनि जे सीता श्रीराम सँ ।०1

तिलक लगौने धनुष काँध पर दूटा बालक बाढ़ छ ।| भगवानी गीत

तिलक लगौने धनुष काँध पर दूटा बालक बाढ़ छ । धूमि रहल छै जनक बागमे फूल तोड़े लेल ठाढ़ पुछै छै त कहै छै जे अवधक राजकुमार छै श्याम ंग जे सब स सुन्दर ओएह सभक सरदार छ काल्हि जे बजला राजा जनकजी दुनियामे नहि वीर छ । से सुनि कुदि उठला लक्ष्मणजी ई कोन भारी बात छै । चुटकी सँ मलि देवइ धनुष के ई कोन भारी बात छ । जखन रामजी धनुष तोडल मचि गेल जयजयकार छै। संग सहेली सीता के कर सुन्दर सन जयमाल छै ।।०।।

बरजु ने अपन कन्हैया, यशोदा मैया ।| भगवानी गीत

बरजु ने अपन कन्हैया, यशोदा मैया । पनिया भरन गेलों यमुना किनारे । फोरि देल हमरी गगरिया, यशोदा० । दही बेचय गेलहुँ वृन्दावन । छीन खायल मोर दहिया, यशोदा० । गैया चराबय गेलहुँ वन जंगल । फारि देल मोर सरिया, यशोदा० । चले श्याम सुन्दर से मिलने सुदामा । गाते चलो मन मे हरे कृष्ण रामा । लोटा ओ डोरी कन्धे लटकाये । ताण्डुल की गठरी बगल मे दबाये । पहुँचे विप्र द्वारिकापुरी धामा 1 गाते० छोड़ि सिंहासन प्रभु उठि धासे ।। सखा बन्धु कहि गले लगाये । पुलक पसीजे धनश्यामा । गाते

जल लिय जल लिय रूक्मिनी रानी| भगवानी गीत

जल लिय जल लिय रूक्मिनी रानी विप्र सुदामा के चरण पखारू 1 विप्र सुदामा० सोनाक थार कपूरक बाती जल्दी सँ आरती उतारू । विप्र सुदामा सोनाक झाड़ी गंगाजल पानी चरन पखारू सुदामा के । विप्र सुदामा०

सिया रघुवर यौ अहाँ बिनु दुनिया अन्हार ।| भगवानी गीत

सिया रघुवर यौ अहाँ बिनु दुनिया अन्हार । मात् कौशिल्या करुणा करे छथि दशरथ त्यागल परान । नगरक लोक सभ करुणा पसारले अयोध्या लागत अन्धकार । चौदह वरख रघुवर वन रहताह कैकई के लिखल विधान । तुलसीदास प्रभु तुम्हरे रस को आहँ विनु दुनियाँ अन्हार ।

पीअर आँचर विषहरि, थकरल केश ।विषहरिक गीत

पीअर आँचर विषहरि, थकरल केश । राम, सेवक दुख सुनय विषहरि लेल परेश किये लय पूजू मइया, किये चढ़ायब । राम, किये लए करब मइया तोहरो श्रृंगार । दूध लऽ पूजब मइया, लाबा चढ़ाएब ।। राम, अड़हुल फूल लय करब श्रृंगार 1 फल मध्य गुअबा, नैवेद्य मध्य पान । राम, देवी मध्य विषहरि दोसर ने आन

छोटी-मोटी अंगनामे बहुत पसार ।विषहरिक गीत

छोटी-मोटी अंगनामे बहुत पसार । राम, मिलैत-जुलैत विषहरि के भए गेल साँझ । आमा गर मिलय गेली उती-पेटार ।। राम, बाबा घर मिलय गेलय देल धेनु गाय ।। भउजो गर मिलय गेली, मुखह ने बोल । राम, भइया गर मिलय गेली लहगा-पटोर ।

ऊँची रे अटरिया पर विषहरि माय,विषहरिक गीत

ऊँची रे अटरिया पर विषहरि माय, राम, नीची रे अटरिया पर सोनरा के भाय । देबौ रे सोनरा भाइ डाला भरि सीन, राम, गढि दिअनु विषहरि क कलस पचास बाट रे बटोहिया कि तोहें मोर भाइ, राम, कहबनि विषहरिके कलस लय जाइ तोहरो विषहरि के चिन्हिया ने जानि, | राम, कहबनि कोनाकः कलस लय जाय । हमरो विषहरि के नामी-नामी केश, राम, मुठी एक डॉर छनि अल्प वएस ।

कागा लऽ गेल मुद्रिका, चिल्होरि ग्रीमहार ।विषहरिक गीत

कागा लऽ गेल मुद्रिका, चिल्होरि ग्रीमहार । रामं, ताहि लेल विषहरि रोदना पसार । सोन ले रे सोनरा, रूपा ले पटा । राम, गढि दए सोनरा भैया सोने श्रीमहार । पहिरि लीअ विषहरि मैया, गले ग्रीमहार । राम, कर लागू आहे विषहरि सेवक गोहार । नाव ला रे मलहा भइया आरो करुआरे । राम, विषहरि औती मृतभुवन, हुरती कलेर

पवनैतिन पर विषहरि ढर गयो रे, गजब भयो रामा जुलुम भयो रे ।विषहरिक गीत

पवनैतिन पर विषहरि ढर गयो रे, गजब भयो रामा जुलुम भयो रे । विषहरि के देखलहुँ फूलो के डाढि पर, झूल गयो रे । गजब भयो रामा जुलम भयो रे विषहरि के देखलहुँ मेंहदो के डारि पर, झूल गयो । - गजव भयो रामा जुलुम भयो रे बिषहरि के देखल जाही-जूही में, छुप गयो रे गजब भयो रामा जुलुम भयो रे बिषहरि के देखलहुँ लाबा-दूध खाइत, गजब भयो रामा जुलुम भयो रे

विषहरि विषहरि, करै छी पुकार ।विषहरिक गीत

विषहरि विषहरि, करै छी पुकार । कतहुँ ने देखै छी, जननी हमार । तेल दे रे तेलिया, दीप दे रे कुम्हार । बाती दे रे पटबा भइया, लेसू प्रहलाद । नाव दे रे मलहवा भइया, धरू करूआर । जायब सरोवर-पार, होली अबेर । अबेर ।।

सावन मास नागपंचमी भेल

सावन मास नागपंचमी भेल घर-घर विषहरि पूजा लेल । ककरो घर विषहरि दूध लाबो लाल । ककरो घर खोर भोजन लेल । भगता घर विषहरि दूध लावा लेल । सेवकक घर खीर भोजन लेल भनहि विद्यापति विषहरि केलि । सदा रहब है मैया दहिन भेल । कओने फूल उज्जर, कओने फूल लाल । कौने फूल विषहरि के सोभय ग्रीवाहर । चेली फूल उज्जर, गेन्दा फूल लाल । अंदुल फाल विषहरी के शोभय ग्रीवाहार । पहिरि ओढ़ विषहरी आँगन भेली ठाढ़ । सुरूजक जोति किषहरि- कयल मलीन । कहाँ तोर आसन बासन कहाँ तोर यास है । ककर तो पाँचो बेटी छल की तोहर नाम हे । मैंना पात आसन वासन सरोबर कास है । गौरी दाई के पाँचो बेटी विषहरि नाम है । नाव ले ? मलहा भैया रूपे करूआरि । विषहरि जेती मृत्युभवन हेतनि अतिकाल । दीप ले रे कुम्हरा भइया पाटे सुत बाती । तेल दे रे तेलिया भइया होइए अतिकाल 1 भनहि विद्यापति विषहरि नाम । सदा भेल दिन रह जुनि होइयौ बाम ।

छोटी-मोटी   निमक गछिया  नाक गछिया, चतरल-चतरल डारि विषहरिक गीत

छोटी-मोटी   निमक गछिया  नाक गछिया, चतरल-चतरल डारि ताही ठाम पाँचो बहिनी, खेलय जुआ सारि । जुअबा खेलइते माइ हे, टुटल गृमलहार । कनइते खिजइते विषहरि, गहबर लोटाइ । जुनि कानू, जुनि खीजू, बिषहरि आबऽ दिअ पटबा, गथायब गृमलहार पहिरि-ओढ़ बिषहरी, आंगन भेली ठादि चान-सुरूजक जोति, गेल मुरझाया ।

कथी के चौखण्डी माता कथी के चौपारि ा

कथी के चौखण्डी माता कथी के चौपारि ा कधी के ओढनी विसहरि खेले जुआ सारि । सोना को चौखण्डी मैया रूप चौपाई । तुलसी ओठडनी विषहरि खेले जुआ सारि । खेले धुपत विषहरी गेली अलसाय । सिरमा बैसल भगता बेनिया डोलाय । कहाँ तोर आसन-बासन कहाँ निज धाम 1 कोने दाइक बेटी थिकी कि धिक नाम । मैना तोहर आसन-वासन वैह ठीक नाम । गौरी दाइक बेटी थिको बिसहरि नाम । जोडी लागल छागर देव रहू एहि ठाम । सदा दहिन रहू होइयो ने बाम ।                                सावन विषहरी लेलनी प्रवेश । भादव विषहरि खेलल झिलहरि । आसिन विषहरि भगता लेल पान । कार्तिक विषहरि नयना झरू नोर । अगहन विषहरि होयतीह अनमोल । सभ दिन सभ ठाम रहथि सहाय ।

पियर अँचरी विषहरि के नामी-नामी केश । विषहरिक गीत

                विषहरिक गीत पियर अँचरी विषहरि के नामी-नामी केश । घुमइत एली विषहरि तिरहुत देश । तोहरो सिंगार विषहरि लाबा आ दुध । हमरो सिगार विषहरि सिर के सिन्दूर । तोहरो सिंगार विषहरि अड़हुल फूल । हमरो सिंगार विषहरि कोर भरि पूत । फल बीच गुअबा नैवेद्य बीच पान । देवी बीच विषहरि मैया दोसर नहि आन 1 साओन मास नागपञ्चमी भेल । विषहरि गहवर सोहावन भेल ।। केओ नीपे गहवर केओ चौपारि । हमही अभागिन निपी दुआरि । केओ लोढे अढूल केओ बेलपत्र । हमहु अभागिन हरियर दूबि केओ माँगे अनधन केओ माँगे पूत । हमहू अभागिन सिरक सिन्दूर ।

बाबा ठोकने छी बज़ केवार, हम दुआर न हो की ।।

बाबा ठोकने छी बज़ केवार, हम दुआर न हो की ।। बाबा खोलू ने बस केवार, हर एआर ४ ॥ गंगा निकट से जल भरि लेलन हैँ, आहाँ के लेल वा कार जेल। कधी तऽ गेल दुखाई, बाबा दुआरि थे। बाद अंत । मलीया बाड़ी सऽ फल लोदि लेल, आहाँ के लेल बाबा लागल। बाबा हाथे त गेल दुखाई, दुआरि धेने ठाढ भेल छी कर्पूर गौरं, करुणा वतारं, संसार सारं, भुजगेन हारम सुदा वसंत, हृदयारविन्दे, भवम् भवानी, सहितं नमामि बाबा सब मंत्र देलह सुनाई, दुआरी देने ठा ई मेल ली बाबा ठोकने छी बज़ केवार, हम दुआरि धेने वाढ भेल छ 🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀 रहि-रहि पीस पड़े भंगिया, हम नैहरवा कहिया जाए। जखने ओ भोरे अन्ना अबैत छथि, भांग घोटना के मांगो करैत छधि । | थर-थर कांपे मोरो बदनमा, हम नैहरवा कहिया जाए। जलने ओ भोरे अङना अवैत छथि, भाँग घोटना के मांग करैत छकि। कार्तिक हरा देलन्हि भांग घोटना, । आम नैहरवा कहिया जाएब । कार्तिक गनपति दुइ ललनमा, खाए क कारण कर हरनमा । गति गेल कोमल सनके बदनमा, हम नहरवा कहिया जाएव ।। रहि-रहि पीसऽ पड़ैए भंगीया, हम नैहरवा कहिया जाए ।

फिरथि शंभू के करनमा, गौरी दाइ त-तन में ना !महेशवानी

फिरथि शंभू के करनमा, गौरी दाइ त-तन में ना ! अन्न त्यागल, पानि त्यागल, त्यागल परनमा । बेलपात चिबाय गौरी राखल जीवनमा । गौरी दाइ वन-वन में ना० होम कयलनि, जाप कयलनि नारद बभनमा । गौरी के लिखल छल इहो बुढ़ सजनमा 1 गौरी दाइ वन-वन मे ना० इन्द्र के इन्द्रासन गेलय, विष्णु के असनमा । शंकर के कैलाश डोलय, बहय रे पवनमा ॥ गौरी दाइ वन-वन मे ना० फिरय शंभू के करनमा, गौरी दाइ वन-वन मे ना ! बाबा ठोकने छी बज केवार, हम दुआरि धेने ठाढ भेल छी । बाबा खोलू ने बज केवार, हम दुआरि धेने ठाढ भेल छी । गंगा निकट सँ जल भरि लेलहँ, आहाँ के लेल बाबा कामर सजेलहँ । कंधा तऽ गेल दुखाई, बाबा दुआरि धेने आढ़ भेल छी । भलीया बाड़ी सऽ फूल लोढि लेलहुँ, आहाँ के लेल बाबा माला गधेलहुँ । बाबा हाथे तऽ गेल दुखाई, दुआरि धेने ठाढ़ भेल छी । कपुर गौर, करुणा वतार, संसार सारं, भुजगेन हारं ! सदा वसंते, हृदयारवीन्द, भवम् भवानी, सहितं नवामी । बाबा सब मंत्र देलौह सुनाई, दुआरि धेने ठाढ़ भेल छी । बाबा ठोकने छी बज़ केवार, हम दुआरि धेने ठाढ़ भेल छी ।

आज नाथ एक व्रत महासुख लागय है । आहे तोहे शिव धरू नटवेप कि इमरू बजाते हैं।

आज नाथ एक व्रत महासुख लागय है । आहे तोहे शिव धरू नटवेप कि इमरू बजाते हैं। तो तो कहै ऽ गौरा नाचय हम कोना नाचब हे ! चारे सोच मोरा लागय कओन विधि नाचब हे । अमत चंबिय मूमि खसत बघम्बर जागत है । होयत बाघम्बर बाघ बसहा धय खायत है । शा से ससरि सभी साँप हो दिश जायत हे ! आहे कार्तिक पोसल मयूर सेहो धय खायत है । जैसे छलकत गंगा भूमि पटि जायत है। आहे होतं हसमुख धार समेट लो ने जायत है । मुण्डमाल टुटी खसत मसानी जागत है ! आहे तोहे गौरा जयव पडाय नाच के देखत हे । भनहि विद्यापति गाल गाना सुनना है । आहे राखल गौरीक मान सदाशिव शंकर है । सखि जोगी एक ठाढ़ अंगनमा में अंगना मे, हे अगनमा मे सांपहि-सांप बाम-दहिन छल चित्र-विचित्र सनम में नितिन भीख कति से लायब घुरि फिरि जाहु अंगनमा में भीख के लिए जोगी, घुरिये ने जाइ गोरी है निकल अंगनमा में भनहि विद्यापति सुर है मनाइन शिव सन दानी क भुवनमा में

देख सखि दाइ माइ, ठबलक बभना आई ।महेशवानी

देख सखि दाइ माइ, ठबलक बभना आई । पहिने सुनैत छलियनि जस तीन भुवन, आब सुनैत छियनि घर नहिं अंगना । भोला के माय-बाप नहि केयो छनि अपना, । गौरी के सासु-ननदि सब सपना । गौरी तप कयलनि रात दिना, तिनका एहन वर देल विघना । भनहि विद्यापति सुनु मैना, नाचथि सदाशिव भरि अंगना । नारद ढहुत बुझा हम कहलहुँ गौरी लय एहन वर अनलहुँ यो । हमरो गौरी छथि बारह बरख केर बुढ़वा वर लय अयलहुँ यो । नारद बड़ अजगुत अहाँ कयलहुँ गौरी लय एहन बर लयलहुँ यो । तीनि भुवन वर कतहुँ न भेटल तँ घर घुरि फिरि अबितहुँ यो । बारि गौरी छथि अल्प बयस केर कनिको नहि बिचारलहुँ यो । भनहि विद्यापति सुनिय मनाइनि त्रिभुवन पति लय अयलहुँ यो ।

चलु सखि देखय गौरी के बरियाती है ।महेशवानी

चलु सखि देखय गौरी के बरियाती है । देखइते बूढ वर फाटे मोर छाती है। गाल चोटकल मुँह टुटल छै दतिया हे । हँसबो के लुरि नहि विकट सुतिया हे । देखि देखि बुढ़ लयला जमइया है । माथा पीटि छाती पीटि कानए गौरीक माय है। चुप करू सखी सब नीति समुझाय है ।

दुर-दुर छीया ए छोया, एहन बौराहा संग जयती कोना धीया

दुर-दुर छीया ए छोया, एहन बौराहा संग जयती कोना धीया पाँच मुख बीच शोभनि तीन अंखिया, सह-सह नचै छनि साँप सखिया दुर-दुर छीया ए छीया.. |काँख तर झोरी शोभनि, धथुर के वीया, दिगम्बर के रूप देखि साले मैना के हीया दुर-दुर छीया ए छीया....... जै धीया के विष देथिन पिआ, कोहबर में मरती धीया

कोना करू सम्मान महादेव, सम्मानक ओरियान कहाँ महेशवानी

कोना करू सम्मान महादेव, सम्मानक ओरियान कहाँ गरोद के अभिलाषा मनमे से जानथि भगवान कहाँ अपने तऽ एल ई जनि जगमे, आनन्दक हिलकोर भेलड महिमा अहाँके जगत विदीत अछि, ई जनि जगमे सोर भेल ।। अपने के रूप अछि गंधर्व, बाघम्बर लेपटौने छो महिमा अहाँके जगत विदित अछि, असली रूप नुकौने छो । स्वागत अछि श्रीमान अहाँके, किन्तु मनोहर अछि गान कहा। कोना करू सम्मान महादेव, सम्मानक ओरियान कहाँ ॥

चन्द बदन हमरो गौरी छथि,महेशवानी

चन्द बदन हमरो गौरी छथि, सूर्य ज्योति करब जमाई रो मा नारद मुनीनी के किछुओ ने बीगारल, आनि देल बुढ़वा जमाई गे माई । कान लगली खीजऽ लगली माइ मनाईन, झखऽ लगला ऋषि सन बाप ने माई । जुनि कानु जुनि खीजु माय मनाईन, जुनि श ऋषि सन बाप गे माई । हमरो कर्म में इहे वर लीखल भना। लीखल मेटल नहि जाइ गे माई ।

सोना सन धीया के बुढ़वा जमाई, कोना रहबै गे माईमहेशवानी

सोना सन धीया के बुढ़वा जमाई, कोना रहबै गे माई सासु मनाइन परीछन जाय, देखिते मनाइन के नाग फफकाई । कोना रहबे गे माई० मस्तक के उपर शीव के जटा बहे नीर, पेरो मे शीव जी के फाटल बेमाय, देखि जीया घबराई । कोना रहबै गे माई० भादव मास गौरी जेती दुहाई, कोना रहबै गे माई ।

गे माई हम नहि शिव सँ गौरी बिआहब, मोर गौरी रहती कुमारि ।महेशवानी

गे माई हम नहि शिव सँ गौरी बिआहब, मोर गौरी रहती कुमारि । गे माई भूत-प्रेत बरिआती अनलनि, मोर जिया गेल डेराइ । गे माई गालो चोटकल, मोछो पाकल, पयरोमे फाटल बेमाइ । गे माई गौरी लए भागब, गौरी लए जायब, गौरी लए पड़ायब नइहर । गे माई भनहि विद्यापति सुनू हे मनाइनि, इहो थिका त्रिभुवननाथ शुभ-शुभ कए गौरी के बियाहू, तारू होउ सनाथ गे माई

गौरा तोरा अङना बड़ अजगुत देखल तोर अङना ।

गौरा तोरा अङना बड़ अजगुत देखल तोर अङना । एक दिस बाघ सिंह करै हुलना दोसर बरद छैन सेहो बउना । पेंच उधार लए गेलहुँ अडना सम्पत्ति के मध्य देखल भाँग घोटना । खेती ने पथारी शिव के गुजर कोना मॅगनी के आस छनि बरिसो दिना । कार्तिक गणपति दुइ जन बालक एक चढे मोर एक मूस लदना । भनहि विद्यापति सुनु उदना दारिद्र हरण करू धेल शरणा । गौरा०

महेशवानी देखिते भोला के सुरतिया, सखिया पागल भेलै सासू

देखिते भोला के सुरतिया, सखिया पागल भेलै सासू अंग विभूतिया गले सर्पमाला, पहिरन हिनकर बाधक छात्र को बसहा के कएल पलकिया, से सखिया पागल भेलै २० मस्त हाथ । त्रिशूल डमरू बजाबे, जटामे गंगा विरवे पेसे रूमाल हृदय बिच लटक, भूत पिशाच बरिअति ।। से सखिया पागल भेलै ना० हाला डौलाने भांग-धथुरा, रहनि ने एको मिठाइ । पौती-पेटारी नाग भरल अछि, मारे ठोढ़ फुकारी ।। से सखिया पागल भेलै ना०

महेशवानी आई बाबा के अङना सोहान बहिना ।

आई बाबा के अङना सोहान बहिना । जना उतरल छै पूनम के चान बहिना 1 शाखा प्रशाखा जटा जूट शोभय ! लगे छै भोला भगवान बहिना ।। सब कियो चढ़ाबै छै जल फुल चानन 1 बहुतो त पान ओ मखान चहिना ।।। कीर्तन भजन अष्ट्यामों जतय होय । होइ अछि सलाना पुराण वी 'मधुकर' सभक ई मनोरथ पुरावथि । महिमा ॐ हिनकर महान बहिना 11

महेशवानी हम नहि जानल गे माई ।

हम नहि जानल गे माई । एहन बर नारद जोहि लौता, देखितहि सब पड़ाद । तीन लोक के मालिक कहि-कहि हमरा देल पतिआई । अन्तिम पलमे भिखमंगा के लायल यर यनाई एकदिस गौरी केर मुह तक छी, दोसर बुढे जमा । ३ देखते मनमे होइत अछि, भरितहुँ जहर-विप छ । हम नहि जानल गे माई ।।

महेशवानी आए मथना के अडना सोहान बहिना ।

                महेशवानी आए मथना के अडना सोहान बहिना । जेना जूटल छै शोभा के खान बहिना ।। गौरी ओ शंकर युगल रूप भोहन । कए के सके अछि बखान बहिना । घर पर नगर ओ डगर पर विराजय । तानल वसन्त वितान जहिना 1 छवि के टापर कपिक घन घटा अछि। तै पर स्वर लय के जुटान बहिना *

रहब हम तोहरे नगरिया हो बढ़िया ।नचारी गीत

रहब हम तोहरे नगरिया हो बढ़िया । रहब हम तोहरे नगरिया । झारी मझारी मे कुटिया बनायब । सब दिन बहारब डगरिया हो बढ़िया । भाङक धथुर पीसि तोहरा पियायब । भोर साँझ दुपहरिया हौ भग्या । भङक बारे में बसहा चराएब । जीवन भरि करबौ चकरिया हैं बढ़िया । धतूरे के फूल बेलपत्र चढ़ बह । चानन चढ़ायब केशरिया हो वीडियो ।। कतबो हटीला सँ हम नहि हटबह । कहियो ने छोरबह दुअरिया ही बढ़िया । सब दिन नवीने नचारी सुनाकए । अप्पन बितायब उमरिया हो बढ़िया ।। नेको अनेको जनममे बसबिहह । अपने घर पछुअरिया ही भडिया ‘मधुकर'' सतत बाट हम तोरे ताकब । कहियो तऽ फेरबऽ नजरिया है बढ़िया ॥

एहन सन धनवानक नगरी मे बाया बना देलहुँ भिखारी ।नचारी गीत

एहन सन धनवानक नगरी मे बाया बना देलहुँ भिखारी । नहि मांगल कैलासपुरी हम, झारखंड ओ बाड़ी नहि मांगल विश्वनाथ मंदिर, ने हम महल अटारी वतहवा वना देल है भिखारी । एक भजन होए जटा तोडि नोचि लेतहु सब दाढ़ी बसहा बरद के डोरी य भारि तहु पैना चारि बाबा बना देलो हूं भिखारी । दोसर मौन होइए अहाँके बिकौटितौं, धऽ कऽ मरम पर हाथ से अपने बियाहल अन्नपूर्णा, देखलौ नयना चारि बाबा बना देलहुँ भिखारी ।

जोगिया एक हम देखल गे माई ।नचारी गीत

जोगिया एक हम देखल गे माई । अद्भुत रूप कहल नहि जाई । पाँच वदन, तिन नया वाला ।। वसन बहन ओढ़न वध छाला । सिर वह गंगा, तिलक सोहे चंदा । देखि सरूप मेल दुख-दन्दा । एहि जोगियामे रतलि भवानी । मन आनल वर कोन गुन जानी । कुल नहि सिल, नहि तात-महतारी । वएस हिनक थिक लछ जुग चारी । सुनु ए मनाइनि विद्यापति बानी । इहो जोगिया तरीका त्रिभुवन दानी ।

पूजा के हेतु शंकर, आयल छी हम पुजारी ।नचारी गीत

पूजा के हेतु शंकर, आयल छी हम पुजारी । जानी ने मंत्र-जप-तप, पूजा के विधि ने जानी । तइयो हमर मनोरथ, पूजा करू हे दानी । चुप भए किए बइसल छी, खोलु ने कने केबारी । बाबा अहाँके महिमा, बच्चेसँ हम जनइ छी । दु:ख की कहू अहाँके सभटा अहाँ जनइ छी । दर्शन दिय दिगम्बर, दर्शन के हम भिखारी । हैं नाथ हम अनाथ, वर दथ करू सनाथ । मिनती करू नमेश्वर, कर जोड़ि दुनु हाथे । डमरू कने बजाङ, गाबई छी हम नचारी ।

कहू- कहू आहे सखि शम्भु उदेश कतहु ने भेटला हमरो महेश नचारी गीत

कहू- कहू आहे सखि शम्भु उदेश कतहु ने भेटला हमरो महेश देखलहुँ शिवके घमैत मशान डिमडिम डमरु बसहा असवार कहू-कहू, आहे सखि शम्भु उदेश देखल हर के घुर्मत कैलाश गले बीच विषधर त्रिशुल भाल कहू-कहू आहे सखि शम्भु उदेश कातिक गणपति छथिन अज्ञान कोना हम छोड़ि शिव के खोजब मशान कहू-कहू आहे सखि शशु उदेश

राखब की सबदीन दानी दुखक जनजालमे ।नचारी गीत

राखब की सबदीन दानी दुखक जनजालमे । लीखने की नई छी बाजू सुख हमरा भागमे ।। दौरल-दौरल भटकल-भटकल द्वार अहाँके एलौंह । अहाँ कृपा ने केलहुँ दानी ते दुखिया हम भेलीह । एको बेरने घुमि कऽ तकै छो, छी भाँगक तालमे । लीखने की नई छी याज़ सुख हमा भागमे 1 दल फाटल टुटली मरया चस्व होन हम भेलोंह अहाँ कृपा नहि केलौंह दानी से दुखिया हम भेलौंह । एक बेर ने चुमि कऽ तक छी, छी अप्पन तालमे ।। लीखने की नई छो बाजू सुख हमरा भागमे ।। भाँगक पुरीया बटोरि-बटोरि क कर्महीन हम भेलीह । एको बेर ने घुमि क तर्क छी, छी भाँगक तालमे । लीखने की नई छी बाजू सुख हमरा भागमे 1

किये गौड़ी सँ चोराकऽ भोला भाँग खेलियै ।नचारी गीत

किये गौड़ी सँ चोराकऽ भोला भाँग खेलियै । सब दिन बसहा चरेलियै ने आराम केलियै ।। हम छी भोला अहीं के पुजारी, फुलवा लेलौह भरि-भरि थारी किये पूजा के बेर भोला कैलाश चलि गेलौह यो ।। हम छी भोला अहीं कर पुजारी, जलवा लेलौंह भरि-भरि गगरी । किये पूजा के बेर भोला द्वितीया के चान भँ गेलौंह यौ ॥

औढ़र दानी प्रति बम भोला कलजोर विनय करै छी ।नचारी गीत

औढ़र दानी प्रति बम भोला कलजोर विनय करै छी । किये ने आँख तकै छी, किये ने आँखि तक छी ।। भोरे उठि हम फल लोढई छी, कखनो डाली कखनो फुलडाली मस्तक पर चढ़बई छी किये ने आँखि तकै छी ।।। भौरे उठि हम जल भरि लबै छी, कखनो सीसी कखनो बोतल मस्तक पर चढ़बई छी, किये ने आँखि तकै छी I भोरे उठि हम बेलपत्र तोडि लबई छी, कखनो डाली कखनो फुलडाली मस्तक पर चढ़बई छी, किये ने ऑँख तकै छी ।।

बम-बम भैरो हो भूपाल, अपनी नगरिया भोला, खेबि लगाबऽ पार । नचारी गीत

बम-बम भैरो हो भूपाल, अपनी नगरिया भोला, खेबि लगाबऽ पार । कथी के नाव-नेवरिया, कथी करूआरि, कोने लाला खेवनहारे, कोन उतारे पार । सोने केर नाव-नेवरिया, रूपे करूआरि, भैरो लाला खेवनहारे, भोला उतारे पार । जँ तोहें भैरो लाला खेबि लगायब पार, मोतीचूर के लडुआ चढायब परसाद । हाथी चलै, घोड़ा चलै, पड़ै निशान, बाबा के कमरथुआ चलै;, उठै घमसान । छोटे-मोटे भैरो लाला, हाथीमे गुलेल, शशिधर के दोगे-दोगे रहथि अकेल सखि हे सुनै छलिएन शिव बड़ सुन्दर, मुदा देख छिऐ रूप भयंकर है| सखि हे सुनै छलिऐन शिव औता गज चलि हे, मुदा शिव ऐला बड़द चढ़ा है । सखि हे सुनै छलिऐन शिव के पिताम्बर हे, मुदा देखे छिऐन ओढने बाघम्बर हे । भनहि विद्यापति गावल, शिव सुन्दर वर गौरी पावल

सभहक दुख अहाँ हरे छी भोला, हमरा किए बिसरै छो यो ।नचारी गीत

सभहक दुख अहाँ हरे छी भोला, हमरा किए बिसरै छो यो । हमहूँ सेवक अहीं के भोला, कोनो विधि निम छो यो । कपारो फटल, बेमायो फादल, किन्तु हम चलै छो यो । द्वारे डाढ़ अहाँकै हमहूँ, पापी जानि टरै छो यो । सेवक अहाँक पुकारि रहल अछि, झाड़खण्ड बैसत छो यो । आचों कृपा करू प्रभु हमरा पर, दुखिया देखि भुलै छी यो । त्रिभुवन नाथ दिगम्बर भोला, सभटा अहाँ जनै ॐ यो । बम-बम भैरो हो भूपाल, अपनी नगरिया भोला, खेबि लगाऽ शर। कथी के नाव-नेवरिया, कथ्ी करूआरि, कोने लाला खेवनहारे, कोन उतारे पार । सोने केर नाव-नेवरिया, रूपे करूआरि, भैरो लाला खेबनहारे, भोला उतारे पार । जै तोहें भैरो लाला खेबि लगायब पार, मोतीचूर के लडुआ चदाब परसाई । हाथी चलै, घोड़ा चलै, पड़ै निशान, बाबा के कमरथुआ चले, उठै धमसात । छोटे-मोटे भैरो लाला, हाधीमे गुलेल, शशिधर के दोगे-दोगे रहथि अकेल ।