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सभहक दुख अहाँ हरे छी भोला, हमरा किए बिसरै छो यो ।नचारी गीत

सभहक दुख अहाँ हरे छी भोला, हमरा किए बिसरै छो यो ।
हमहूँ सेवक अहीं के भोला, कोनो विधि निम छो यो ।
कपारो फटल, बेमायो फादल, किन्तु हम चलै छो यो ।
द्वारे डाढ़ अहाँकै हमहूँ, पापी जानि टरै छो यो ।
सेवक अहाँक पुकारि रहल अछि, झाड़खण्ड बैसत छो यो ।
आचों कृपा करू प्रभु हमरा पर, दुखिया देखि भुलै छी यो ।
त्रिभुवन नाथ दिगम्बर भोला, सभटा अहाँ जनै ॐ यो ।

बम-बम भैरो हो भूपाल,
अपनी नगरिया भोला, खेबि लगाऽ शर।
कथी के नाव-नेवरिया, कथ्ी करूआरि,
कोने लाला खेवनहारे, कोन उतारे पार ।
सोने केर नाव-नेवरिया, रूपे करूआरि,
भैरो लाला खेबनहारे, भोला उतारे पार ।
जै तोहें भैरो लाला खेबि लगायब पार,
मोतीचूर के लडुआ चदाब परसाई ।
हाथी चलै, घोड़ा चलै, पड़ै निशान,
बाबा के कमरथुआ चले, उठै धमसात ।
छोटे-मोटे भैरो लाला, हाधीमे गुलेल,
शशिधर के दोगे-दोगे रहथि अकेल ।

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बम-बम भैरो हो भूपाल, अपनी नगरिया भोला, खेबि लगाबऽ पार । नचारी गीत

बम-बम भैरो हो भूपाल, अपनी नगरिया भोला, खेबि लगाबऽ पार । कथी के नाव-नेवरिया, कथी करूआरि, कोने लाला खेवनहारे, कोन उतारे पार । सोने केर नाव-नेवरिया, रूपे करूआरि, भैरो लाला खेवनहारे, भोला उतारे पार । जँ तोहें भैरो लाला खेबि लगायब पार, मोतीचूर के लडुआ चढायब परसाद । हाथी चलै, घोड़ा चलै, पड़ै निशान, बाबा के कमरथुआ चलै;, उठै घमसान । छोटे-मोटे भैरो लाला, हाथीमे गुलेल, शशिधर के दोगे-दोगे रहथि अकेल सखि हे सुनै छलिएन शिव बड़ सुन्दर, मुदा देख छिऐ रूप भयंकर है| सखि हे सुनै छलिऐन शिव औता गज चलि हे, मुदा शिव ऐला बड़द चढ़ा है । सखि हे सुनै छलिऐन शिव के पिताम्बर हे, मुदा देखे छिऐन ओढने बाघम्बर हे । भनहि विद्यापति गावल, शिव सुन्दर वर गौरी पावल

पूजा के हेतु शंकर, आयल छी हम पुजारी ।नचारी गीत

पूजा के हेतु शंकर, आयल छी हम पुजारी । जानी ने मंत्र-जप-तप, पूजा के विधि ने जानी । तइयो हमर मनोरथ, पूजा करू हे दानी । चुप भए किए बइसल छी, खोलु ने कने केबारी । बाबा अहाँके महिमा, बच्चेसँ हम जनइ छी । दु:ख की कहू अहाँके सभटा अहाँ जनइ छी । दर्शन दिय दिगम्बर, दर्शन के हम भिखारी । हैं नाथ हम अनाथ, वर दथ करू सनाथ । मिनती करू नमेश्वर, कर जोड़ि दुनु हाथे । डमरू कने बजाङ, गाबई छी हम नचारी ।

एहन सन धनवानक नगरी मे बाया बना देलहुँ भिखारी ।नचारी गीत

एहन सन धनवानक नगरी मे बाया बना देलहुँ भिखारी । नहि मांगल कैलासपुरी हम, झारखंड ओ बाड़ी नहि मांगल विश्वनाथ मंदिर, ने हम महल अटारी वतहवा वना देल है भिखारी । एक भजन होए जटा तोडि नोचि लेतहु सब दाढ़ी बसहा बरद के डोरी य भारि तहु पैना चारि बाबा बना देलो हूं भिखारी । दोसर मौन होइए अहाँके बिकौटितौं, धऽ कऽ मरम पर हाथ से अपने बियाहल अन्नपूर्णा, देखलौ नयना चारि बाबा बना देलहुँ भिखारी ।