Skip to main content

Posts

Showing posts from December, 2022

भगवतीक गीत मैथिली लोकगीत

दिय भक्ति के दान जगदम्बे, हम जेबै कतइ हे अम्बे पुत्र गलती अनेको करै छई, ओकरा माता ने एकौ धरै छै, दिय दिय सहारा हे अम्बे हम, जेबइ करइ हे अम्बे दिय भक्ति के दान जगदम्बे, हम जेबै कतइ हे अम्बे। नैया डुबल छै बीच भँवर में हमरा शक्ति नहि छै कमर में दिय दिय सहारा हे अम्बे, हम जेबइ करइ हे अम्बे दैरल-दैरल अयलऊँ हे अम्बे करिमऊ हमरा माफ हे जगदम्बे दिय भक्ति के दान जगदम्बे, हम जेबै कतइ हे अम्बे। 

मैथिली लोकगीत नचारी

यो अहाँ बाबा बैदनाथ कते के कयलहुँ सनाथ अयलहुँ हमहूँ अनाथ, अहाँक नगरियामे नेने गंगाजल केर भार ढूढंल जंगल आर पहाड़ अयलहुँ हमहूँ अनाथ, अहाँक नगरियामे नेने फूल बेलपात ताकी जंगल आ कैलाश अयलहुँ हमहूँ अनाथ, अहाँक नगरियामे नेने चानन ओ अक्छत ताकी जंगल आ कैलास अयलहुँ हमहूँ अनाथ, अहाँक नगरियामे

मैथिली लोकगीत नचारी

घोड़बा चढ़ल अबथिन ब्राह्मण दुलरुआ हाथ दुनू कमलक फूल यो किए भेलौं ब्राह्मण शक्तिहीना मुँह किए तोहर मलीन यो पान बिना आहे सेवक मुँहमा मलीन भेल जनौ बिनु शक्तिसँ हीन यो देब यो ब्राह्मण बाबू पीअरे जनौआ आर देब मुखबामे पान यो नहाए सोनाए ब्राह्मण थीर भय बैसला सूर्य के कयल मलीन यो भनहि विद्यापति सुनू यो ब्राह्मण बाबू सदा रहब सहाय यो

मैथिली लोकगीतब्राह्मणक गीत

घोड़बा चढ़ल अबथिन ब्राह्मण दुलरुआ हाथ दुनू कमलक फूल यो किए भेलौं ब्राह्मण शक्तिहीना मुँह किए तोहर मलीन यो पान बिना आहे सेवक मुँहमा मलीन भेल जनौ बिनु शक्तिसँ हीन यो देब यो ब्राह्मण बाबू पीअरे जनौआ आर देब मुखबामे पान यो नहाए सोनाए ब्राह्मण थीर भय बैसला सूर्य के कयल मलीन यो भनहि विद्यापति सुनू यो ब्राह्मण बाबू सदा रहब सहाय यो

मैथिली लोकगीत ब्राह्मणक गीत

घोड़बा चढ़ल अबथिन ब्राह्मण दुलरुआ हाथ दुनू कमलक फूल यो किए भेलौं ब्राह्मण शक्तिहीना मुँह किए तोहर मलीन यो पान बिना आहे सेवक मुँहमा मलीन भेल जनौ बिनु शक्तिसँ हीन यो देब यो ब्राह्मण बाबू पीअरे जनौआ आर देब मुखबामे पान यो नहाए सोनाए ब्राह्मण थीर भय बैसला सूर्य के कयल मलीन यो भनहि विद्यापति सुनू यो ब्राह्मण बाबू सदा रहब सहाय यो

मैथिली लोकगीतब्राह्मणक गीत

घोड़बा चढ़ल अबथिन ब्राह्मण दुलरुआ हाथ दुनू कमलक फूल यो किए भेलौं ब्राह्मण शक्तिहीना मुँह किए तोहर मलीन यो पान बिना आहे सेवक मुँहमा मलीन भेल जनौ बिनु शक्तिसँ हीन यो देब यो ब्राह्मण बाबू पीअरे जनौआ आर देब मुखबामे पान यो नहाए सोनाए ब्राह्मण थीर भय बैसला सूर्य के कयल मलीन यो भनहि विद्यापति सुनू यो ब्राह्मण बाबू सदा रहब सहाय यो

मैथिली लोकगीत ब्राह्मणक गीत

घोड़बा चढ़ल अबथिन ब्राह्मण दुलरुआ हाथ दुनू कमलक फूल यो किए भेलौं ब्राह्मण शक्तिहीना मुँह किए तोहर मलीन यो पान बिना आहे सेवक मुँहमा मलीन भेल जनौ बिनु शक्तिसँ हीन यो देब यो ब्राह्मण बाबू पीअरे जनौआ आर देब मुखबामे पान यो नहाए सोनाए ब्राह्मण थीर भय बैसला सूर्य के कयल मलीन यो भनहि विद्यापति सुनू यो ब्राह्मण बाबू सदा रहब सहाय यो

मैथिली लोकगीतभगवतीक गीत

इन्द्र गहि-गहि, चक्र गहि-गहि, खर्ग लिअ माता भगवती अड़हुल फूल भकनार भयो, देखि पुनि आनन्द भयो सोनाके आसन रत्न सिंहासन, आबि बैसाउ माता भगवती सोनाके झारी गंगाजल पानी, चरण पखारब माता भगवती सोनाके थारी छत्तीसो व्यंजन, भाग लगाउ माता भगवती सोनाके सराइ कपूरक बाती, आरती देखाउ माता भगवती अड़हुल फूल भकनार भयो...

मैथिली लोकगीतभगवतीक गीत

इन्द्र गहि-गहि, चक्र गहि-गहि, खर्ग लिअ माता भगवती अड़हुल फूल भकनार भयो, देखि पुनि आनन्द भयो सोनाके आसन रत्न सिंहासन, आबि बैसाउ माता भगवती सोनाके झारी गंगाजल पानी, चरण पखारब माता भगवती सोनाके थारी छत्तीसो व्यंजन, भाग लगाउ माता भगवती सोनाके सराइ कपूरक बाती, आरती देखाउ माता भगवती अड़हुल फूल भकनार भयो...

भगवतीक गीत

नया शहर कलकत्ता हो राजा, जहाँ बिराजे महाकाली केओ चढ़ाबे माँ के अक्षत चानन, माँ हे केओ चढ़ाबे फुलहारी सेवक चढ़ाबे माँ के अक्षत चानन, माँ हे माली चढ़ाबे फुलहारी केओ चढ़ाबे माँ के करिया छागर, माँ हे केओ चढ़ाबे फुलहारी सेवक चढ़ाबे माँ के करिया छागर, माँ हे मालिन चढ़ाबे फुलहारी नया शहर कलकत्ता हो राजा, जहाँ बिराजे महाकाली

भगवतीक गीत

नया शहर कलकत्ता हो राजा, जहाँ बिराजे महाकाली केओ चढ़ाबे माँ के अक्षत चानन, माँ हे केओ चढ़ाबे फुलहारी सेवक चढ़ाबे माँ के अक्षत चानन, माँ हे माली चढ़ाबे फुलहारी केओ चढ़ाबे माँ के करिया छागर, माँ हे केओ चढ़ाबे फुलहारी सेवक चढ़ाबे माँ के करिया छागर, माँ हे मालिन चढ़ाबे फुलहारी नया शहर कलकत्ता हो राजा, जहाँ बिराजे महाकाली

भगवतीक गीत

नया शहर कलकत्ता हो राजा, जहाँ बिराजे महाकाली केओ चढ़ाबे माँ के अक्षत चानन, माँ हे केओ चढ़ाबे फुलहारी सेवक चढ़ाबे माँ के अक्षत चानन, माँ हे माली चढ़ाबे फुलहारी केओ चढ़ाबे माँ के करिया छागर, माँ हे केओ चढ़ाबे फुलहारी सेवक चढ़ाबे माँ के करिया छागर, माँ हे मालिन चढ़ाबे फुलहारी नया शहर कलकत्ता हो राजा, जहाँ बिराजे महाकाली

भगवतीक गीत

नया शहर कलकत्ता हो राजा, जहाँ बिराजे महाकाली केओ चढ़ाबे माँ के अक्षत चानन, माँ हे केओ चढ़ाबे फुलहारी सेवक चढ़ाबे माँ के अक्षत चानन, माँ हे माली चढ़ाबे फुलहारी केओ चढ़ाबे माँ के करिया छागर, माँ हे केओ चढ़ाबे फुलहारी सेवक चढ़ाबे माँ के करिया छागर, माँ हे मालिन चढ़ाबे फुलहारी नया शहर कलकत्ता हो राजा, जहाँ बिराजे महाकाली

मैथिली लोकगीतपराती

प्रिये हम जाइत छी वनवास सत्य प्रतिज्ञा कयलनि पिताजी, कैकेयी कयल प्रयास कौशिल्या सन सासु महलमे, तखन सिय रहु धय आश हिनकर सेवा करब उचित थिक, धैर्यहि विपत्तिक नाश कन्द मूल फल संयोगहि भेटत, लागत भूख पियास दुर्गम बाट दिन विकट जौं, लेब कहाँ कऽ बास प्रिय हम जाइत छी वनवास

पराती

प्रिये हम जाइत छी वनवास सत्य प्रतिज्ञा कयलनि पिताजी, कैकेयी कयल प्रयास कौशिल्या सन सासु महलमे, तखन सिय रहु धय आश हिनकर सेवा करब उचित थिक, धैर्यहि विपत्तिक नाश कन्द मूल फल संयोगहि भेटत, लागत भूख पियास दुर्गम बाट दिन विकट जौं, लेब कहाँ कऽ बास प्रिय हम जाइत छी वनवास

पराती

प्रिये हम जाइत छी वनवास सत्य प्रतिज्ञा कयलनि पिताजी, कैकेयी कयल प्रयास कौशिल्या सन सासु महलमे, तखन सिय रहु धय आश हिनकर सेवा करब उचित थिक, धैर्यहि विपत्तिक नाश कन्द मूल फल संयोगहि भेटत, लागत भूख पियास दुर्गम बाट दिन विकट जौं, लेब कहाँ कऽ बास प्रिय हम जाइत छी वनवास

पराती

प्रिये हम जाइत छी वनवास सत्य प्रतिज्ञा कयलनि पिताजी, कैकेयी कयल प्रयास कौशिल्या सन सासु महलमे, तखन सिय रहु धय आश हिनकर सेवा करब उचित थिक, धैर्यहि विपत्तिक नाश कन्द मूल फल संयोगहि भेटत, लागत भूख पियास दुर्गम बाट दिन विकट जौं, लेब कहाँ कऽ बास प्रिय हम जाइत छी वनवास

पराती

सून भवन भेल भोर श्याम बिनु सून भवन भेल मोर आब के आओत दौड़ि, ककरा लपकि झपटि लेब कोर आब के बजाओत मधुर मुरलिया, ककर चूमब दुनू ठोर आब के खायत घरसँ लूटि रस, दूध-दही-धृत-घोर आब ककरा हम लाल-लालकऽ बजायब, करबमे ककरा सोर आब के बूलत सगर वृन्दावन, के कहाओत चितचोर कहथि कविपति सूनु माता यशोमति, आब सुख होयत तोर कंस पछाड़ि पलटि घर आओत, श्यामल मुख चन्द्र चकोर