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Showing posts with the label बटगबनी....1 by mk jha

बटगबनी

                      बटगबनी 1..  तरुणी बयस मोर बीतल सजनी गे, पहु बिसरल मोर नाम । कुसुम फुलिय, फुल मौलल सजनी गे, भ्रमरो ने लय विश्राम । सिर सिन्दूर नहि भाबय सजनी गे, मुरूछि खसय एहि ठाम । उठइत परम बेयाकुल सजनी गे, दैव किए भेल वाम । कोकिल कुहुकि सुनाओल सजनी गे, नयन ढरकि खसु वारि । अधरस ओतय गमाओल सजनी गे, दय गेल सौतिन गारि । युगल नयन मन व्याकुल सजनी गे, थिर नहि रहय गेयान । विद्यापति कवि गाओल सजनी गे, ई थिक दुखक निदान ।by.....mk jha