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आज देखल एक कामिनि रे, नवदायिनि नेहा । बटगवनी

आज देखल एक कामिनि रे, नवदायिनि नेहा । नोट बसन लखि आतुर रे, जनु जलद सनेहा । विसरल गिरि नयना चल रे, लज्जित चाने । तसु मुख लखि नहि बरजल रे, अति सहथि अपमान ॥ अमल कमल दल गीत रे, लखि लखि नैन विशाल। जनि लज्जित भैरव गणपति रे, करू विपिन निवासे ।। युवजन मानस टाटक रे, अनुछल कर चोरी । जनु कुच युग बान्हल रे, दृढ़ कंचुकी डोरी ।। हर्षनाथ भजन दै रे, नागर अनुमान । पूर्व जनम हम देखल रे, लोचन अभिरामा ।