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Showing posts from May, 2020

जखन गगन घन गरजत सजनी गे। सुनि हहरत जीव मोरबटगवनी

जखन गगन घन गरजत सजनी गे। सुनि हहरत जीव मोर सजनी गे । प्राणनाथ परदेश गेल सजनी गे । चित भेल चान चकोर सजनी गे । एकसरि भवन हम कामिनि सजनी गे । दामिनी लेल जीव मोर सजनी गे । दामिनी दमकि डेराओल सजनी गे । आब ने बचत जीव मोर सजनी गे । झिंगुर चमकत चहुँ ओर सजनी गे । कुहुकत कोयल मोर सजनी गे । से सुनि जिय घबड़ायल सजनी गे । यौवन कयलक घोर सजनी गे। भनहि विद्यापति गाओल सजनी गे । मन जुनि करिय उदास सजनी गे। सभसँ पैघ धैरज थिक सजनी गे । भ्रमर आओत तोर पास सजनी गे।

बहिना कोना का कटबै साओन राति अन्हरिया, पिया छेबटगवनी

बहिना कोना का कटबै साओन राति अन्हरिया, पिया छे नोकरिया ना । अन्हारि, सूझय आ ने दुआरी । एक राति बहिना कोना कऽ सुतला पिया के पलगिया, पिया छै नोकरिया ना । सखी सब झुमि-झुमि गाबय गीत, दूर हम्मर मोनक मीत । जाई छै काँच अमेरिका ॥ पिया छे नोकरिया ना

प्रथमहि गेल धनि प्रीतम पास सजनी गे, हिरदय अधिक बटगवनी

प्रथमहि गेल धनि प्रीतम पास सजनी गे, हिरदय अधिक भेल लाज सजनी गे। ठाढि भेलि नि अंगों नहि डोलय, हेम-सुरुति सनि कर धए लेल पहु पास बैसाए सजनी गे, बैसलि रहलि धनि वदन झुकाए सजनी गे । मुख हेरि ताकए भमर झाँपि लेल सजनी गे, आँकम भरिके कमलमुखि लेल सजनी गे । भनहि विद्यापति देह सुमति सजनी गे,पुरुषक नहि किछु आस सजनी गे।

आज देखल एक कामिनि रे, नवदायिनि नेहा । बटगवनी

आज देखल एक कामिनि रे, नवदायिनि नेहा । नोट बसन लखि आतुर रे, जनु जलद सनेहा । विसरल गिरि नयना चल रे, लज्जित चाने । तसु मुख लखि नहि बरजल रे, अति सहथि अपमान ॥ अमल कमल दल गीत रे, लखि लखि नैन विशाल। जनि लज्जित भैरव गणपति रे, करू विपिन निवासे ।। युवजन मानस टाटक रे, अनुछल कर चोरी । जनु कुच युग बान्हल रे, दृढ़ कंचुकी डोरी ।। हर्षनाथ भजन दै रे, नागर अनुमान । पूर्व जनम हम देखल रे, लोचन अभिरामा ।

कि कहू पहु परदेश गेल सजनी गे,आहे सखि किछु ने सोहाय सजनी गे बटगवनी

कि कहू पहु परदेश गेल सजनी गे, आहे सखि किछु ने सोहाय सजनी गे फूल केश नीर बहु सजनी गे, काजर गेल दहाय सजनी के। कंगन बहन भार भेल सजनी गे, यौवन भेल उतफाल सजनी गे आंगन मोरा लेखे बिजवान सजनी गे. । पर भेल दिवस अन्हार सजनी गे । जौ प्रीतम नहि आओत सजनी गे, मरब जहर-बिख खाय सजनी गे ।

चललि शयन गृह सुन्दरि रे, आनन्द उर वृन्दा शिर सौं बटगवनी

चललि शयन गृह सुन्दरि रे, आनन्द उर वृन्दा शिर सौं ससुराल घोघट रे, जनि उगल चन्दा ॥ चलइत नूपुर किंकिन रे, दौड़ल दुहू काने दुर से हँस शब्द करू रे, घर पिय जिप शाने ।। डरहु ने जानि चकबा शिशु रे, उर कुच युग छाजे पतन प्रश्न और आंसर रे, जति झपटत वाजे नाभि विवरण सं निकसलि रे, दोमावलि साँपे । से सौतिन वध कारन रे, आँचर रहु झापे ।। कह अनुभव करि "वादरि" रे, देखैत बड़ सुखलागे

सूतलि छलहँ हम एकसरि सजनी गे, निन्दमे उठल चेहाय सजनी गे।बटगवनी

सूतलि छलहँ हम एकसरि सजनी गे, निन्दमे उठल  चेहाय सजनी गे। सपना मे देखल पहु आयल सजनी गे, तखने टुटल मोर निन्द सजनी गे । देखल कहाँ पहु मोर सजनी गे, केकरा कहब बुझाइ सजनी गे । मोर दिल के बतिया, के मोहि करत दुलार सजनी गे । भाग केहन थिक सजनी गे, हुनकहि किए देब दोख सजनी गे । भनहि विद्यापति सुनू सजनी गे, स्वप्न नही विश्वास सजनी गे

चन्द्रवदनि नव कामिनी सजनी गे, यामिनि अति बटगवनी

चन्द्रवदनि नव कामिनी सजनी गे, यामिनि अति अन्हियारी सजनी गे सखी संग चललि सयन गृह सजनी गे, कर पंकज दीप वारि सजनी गे । देखि उर अति सुन्दर सजनी गे, दीप राशि उठू काँपि सजनी गे धम धम करत झुकत फेर सजनी गे, भाल धुनै सिर माथ सजनी गे कथि लय देव जनम देल सजनी गे, चतुरानन' दीन हाथ सजनी गे।

प्रीतम प्रीत लगाकय जाइ छए विदेश गे बटगवनी

प्रीतम प्रीत लगाकय जाइ छए विदेश गे । धरब जोगिन के भेष गे ना ॥ चैत चित नहि थीर वैशाख गर्मी के दिन । जेठ चिठियो ने दै. छे हमर बालम गे, धरब जोगिन के भेष गे ना ।। आषाढ़ बरिसय दिन राति सावन झिमिक झिमिक पानि । डेरा ऑन गे, धरब जोगिन के भेष गे ना ।। आसिन हमरा लगाएब कातिक कन्त लिखि पठायब । अगहन मोन होइहै जइतौं नइहर गे, धरब जोगिन के भेष गे ना ॥ पिया के बजाय । दुनू मिलि गे, धरब जोगिन के भेष गे

बीचमे अपन वियोग सजनी गे।बटगवनी

कमल-कली कोना तेजल सजनी गे, पहु छथि देशक दूर सजनी राखल पान सुबासल सजनी गे, अपनहि हाथे लगाओल सजनी गे तखनुक पीति केहन छल सजनी गे.  अपनहि लेल पहु कोर सजनी गे । ठाडी छलहुँ हम कदम तर सजनी गे, तरु दूसल मोर मूह सजनी गे नयनक काजर स्याही भेल सजनी गे, अपनहि हाथ सऽ लिखब सजनी गे । चारू कात लीखब कुशल सजनी गे, बीचमे अपन वियोग सजनी गे।

बटगबनी। नदिया के तीरे तीरे चलु सखि धीरे धीरे । कि आहे उधो

नदिया के तीरे तीरे चलु सखि धीरे धीरे । कि आहे उधो बिनु हरि नदिया लगय भयाओन रे की गेलियै जे फूलक बाड़ी साड़ी मोर अटकल गाड़ी। कि आहे उधो हरि बिनु साड़ी क्यो ने छोड़ाबय रे की । जहिया सँ मधुपुर गेला कुबजी के बस भेला कि आहे उधो कुबजा सौतिनिआ कोना निबेरब रे की जाहि बाटे हरि गेला दुभिया जनमि गेल । कि आहे उधो दुभिया सुरतिया हिया मोर बोले रे की।

अवधि मास छल भादव सजनी गे, निज कय गेला बुझाय बटगवनी

अवधि मास छल भादव सजनी गे, निज कय गेला बुझाय से दिन आबि तुलायल सजनी गे, धिरज धयल ने जाय । अति आकुल पहु बिनु सजनी गे, सुन्दर अति सुकुमार । अकछि हिया पथ हेरथि सजनी गे, अजहुँ ने आयल मुरारी । खन-खन मदन दहो दिस सजनी गे, अजहुँ ने आयल मुरारी । से दुख काहि बुझायब सजनी गे, बैसब ककरा लग जाय । हरि गुण सुमरि बिकल भेल सजनी गे, के बहुत दु:ख मोर । विद्यापति कवि गाओल सजनी गे, आयल नन्द किशोर

बटगबनी चानन बुझि हम रोपल सजनी गे, भय गेल सिमरक गाछ

चानन बुझि हम रोपल सजनी गे, भय गेल सिमरक गाछ सजनी गे। ताहि गामक पहु जागल सजनी गे, चलि भेल पहु परदेश सजनी गे । बारह बरख पर आयल सजनी गे, लाओल कंगही सनेस सजनी गे ताही कंगही लए लट हम झारल, रचि रचि कयलहुँ शृंगार सजनी गे खोइछ भरि लोढ़लहुँ चंगेरी भरि सजनी गे, सब फूल सेजिया लगैब सजनी गे

बटगबनी

                      बटगबनी 1..  तरुणी बयस मोर बीतल सजनी गे, पहु बिसरल मोर नाम । कुसुम फुलिय, फुल मौलल सजनी गे, भ्रमरो ने लय विश्राम । सिर सिन्दूर नहि भाबय सजनी गे, मुरूछि खसय एहि ठाम । उठइत परम बेयाकुल सजनी गे, दैव किए भेल वाम । कोकिल कुहुकि सुनाओल सजनी गे, नयन ढरकि खसु वारि । अधरस ओतय गमाओल सजनी गे, दय गेल सौतिन गारि । युगल नयन मन व्याकुल सजनी गे, थिर नहि रहय गेयान । विद्यापति कवि गाओल सजनी गे, ई थिक दुखक निदान ।by.....mk jha