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Showing posts with the label गोसाउनिक गीत

अजब शहर कलकत्ता बड़ भारी गोसाउनिक गीत

अजब शहर कलकत्ता बड़ भारी माँ हे जहाँ बिराजे काली केओ पै अगति केओ नै पछुअति केओ नीपै काली के दुआरी । अन्धा नीपै अगुअति कोरिया पछुअति बाँझी नीपै काली के दुआरी 1 अन्हरा के आखि दिऔ कोरिया के काया बाँझी के पूत दियौ श्रुतशाली

दिय भक्ति के दान जगदम्बे, हम जेबई कतऽ हे अम्बे गोसाउनिक गीत

दिय भक्ति के दान जगदम्बे, हम जेबई कतऽ हे अम्बे नाव डूबल छै बीच भवरमे, आब शक्ति नहि छै कमर में ! अबला के सहारा है अम्चे । हम जैबई कतऽ हे जगदम्बे 1 पुत्र गलती अनेको करय छै, जेकर माता ने किछुओ जनै छी दुख्यिा के सहारा हे अम्बे । हम जेबय कतऽ हे जगदम्बे । पुत्र कपुतो अनेको जे होई छै, पर माता कुमाता नहि होई छ । अबला के सहारा है अम्बे । हम जेबई कतऽ हे जगदम्बे

अहाँ जगत-जननी महतारी छी गोसाउनिक गीत

अहाँ जगत-जननी महतारी छी कालिका दुलारी छी ना ।। अहाँ छिअइ मिथिला बासी । हम सब वसी मिथिला काशी हम त अहाँके चरण के पुजारी छी कालिका दुलारी छी ना । अहाँ बसी मिथिला देश हम सब कटड छो कलेश अहाँ सुख सम्पत्ति केर अटारी छीं कालिका दुलारी छी ना । अहाँक रह ज़र सेवा कर जरूर अहाँ सासुर बसि नैहर विसराबै छी कालिका दुलारी छी ना । अहाँ जगत जननी महतारी छ। कालिका दुलारी छी ना ।

को भेल हमर गलती, कीये वीसरि गेलौंह माता गोसाउनिक गीत

को भेल हमर गलती, कीये वीसरि गेलौंह माता ।। बचपन के मति अछि माँ, कनी ज्ञान सुधारु ने की। दुख सहलो ने जाइए माँ, हम नोर चुबाबई छी । हे काली खप्पर मईया, कनी नेत सुधारू ने की।।। दुख सहलो ने जाईए माँ, हम अबला नारी छी । हे माँ सुतल छी की जागल छी, हम सुमति ने पावई छी।की०।।

कतेक दुख सुनाथ हे गोसाउनिक गीत

कतेक दुख सुनाथ हे कतेक दुख सुनायब । तंत्र-मंत्रएको महान की कहि अहाँ के सुनायब हे जननी की कहि आह के सुनायब मूर्ख एक पुत्र अहाँ के भुतियल रखबनि संग लगाय हे जननी कतेक दुख सुनायब सूरदास अधम जग मूरख तारा नाम तोहार हे जननी दुर्गा नाम तोहार कतेक दुख सुनायब

मइया आबि रहल छथि हुनकर नुपूर रुनझुन बाजैन हे ।गोसाउनिक गीत

मइया आबि रहल छथि हुनकर नुपूर रुनझुन बाजैन हे । सिंह चढ़ल एक कमल विराजित ताहि ऊपर खप्पर लेने है कारी केश हुनक अति सुन्दर धरती लोटन है। रुण्ड मुण्ड सँ देह नुकौने रूप बनौने हे मया आवि० ।। अस्त्र-शस्त्र के धारण कयने खल खल साधन है। येह धीकि काली दुर्गा तारा भगति उधारनि हें ।मैया०1 जय जय अम्बे जय जगदम्बे जगत उधान है। सेवक सब कलजोड़ि ठाढ़ छथि गोड लगै छधि है मैया०।।।

खोलू ने केबार है जननी, खोल के केवारगोसाउनिक गीत

खोलने केबार खोलू ने केबार है जननी, खोल के केवार माँ के द्वार पर फूल नेने ठाढ़ छी........ पूजा करब तोहार हे जननी, पूजा करब तोहार माँ के द्वार पर धूप नेने ठाढ़ छी........ आरती उतारब तोहार हे जननी, खोलू ने केवार माँ के द्वार पर धूप नेने ठाढ़ छी.... भोग लगाएब तोहार है जननी, खोलू ने केवार खोलू ने केवार है जननी, खोल ने कंवार ।

कोन फूल पियर हे माता कोन फूल लाल हे ।गोसाउनिक गीत

कोन फूल पियर हे माता कोन फूल लाल हे । कोन फूल पहिरन माँ के कोन फूल सिंगार हे । चम्पा फूल पियर हे माता ओढ़हुल फूल लाल है । बेली फूल पहिरन माँ के चमेली फूल सिंगार है । पहिरिये ओढीये काली मन्दिर में ठाडी हे । सब सखियन मिली पूजा दुआर हे । पाँच सात सखी मिलि विनती करे तोहार हे । हमरो विनैया माता सुनो बारंबार है । एकटा के पुत्र दिया धन के सिंगार हे । आहे पुत्र होते माता सेवक तोहार हो ।

जगदम्बा हे ले के खबरिया हमार गोसाउनिक गीत

जगदम्बा हे ले के खबरिया हमार । जखन जगदम्बा मइया घरसौं बहार भेली । जगदम्बा हे कोरिया काया लय जगदम्बा है ली दे खबरिया हमार 1 जखन जगदम्बा मइया आगन सौ बहार के 1 जगदम्बा है अन्हरा नयना लय न जगदम्बा हे लीअ *की क्रिया हमार । जखन जगदम्बा मइया दरबज्जा से बिहार भली । जगदम्बा हे बाँझिन पुत्र लय ठाढ़ । जगदम्बा हे लिअ ने खबरिया हमार । जखन जगदम्बा मइया गाम सऽ बहार भेली - जगदम्बा हे निर्धन धन ल ठाढ़ । जगदम्बा हे लीअ की क्रिया हमार 1

मैया सिंहक पीठ सबार, हम सब करइ छी पुकार ।

मैया सिंहक पीठ सबार, हम सब करइ छी पुकार । अहाँ दुखिया के दुख हरब कोना । हम सब फूल नेने ठाढ, अहाँ खोलू ने किवाड़ । हम सब अहाँ के फूल चढेब कोना । हम सब नैवेद्य नेने ठाढ़, अहाँ खोलू ने कबाड़ । हम सभ भोग अहाँ के लगायब कोना । मैया०

अम्बे अम्बे जय जगदम्बे, जय-जयकार करे छी हे

अम्बे अम्बे जय जगदम्बे, जय-जयकार करे छी हे तीन भुवन के मात् अहाँ छी, तीन नयनसँ तक छी है। सिंह पर एक कमल राजित, ताहि ऊपर बैसल छी हे । भूत प्रेत सभ झालि बजाय, योगिन के नचबइ छी है। राक्षस के संहार करै छी, दुनिया के जुड़वा छी है।

है जगदम्बा जय माँ काली प्रथम प्रणाम करै छी हे ।

है जगदम्बा जय माँ काली प्रथम प्रणाम करै छी हे । नहि जान हम सेवा पूजा अटपट गीत गबय छी है। सुनलहुँ कतेक अधम के मैया मनवांछित फल दै छी है । पुत्र सम जानि चरण सेवक के जन्मक कष्ट हरै छी है। विपतिक हाल कहब की है मैया आशा लागि जपै छो है । मनक मनीरथ मनहि में राखि मंदिर तक पहुचे छी हे । अहाँक चरण के दस कहाबी एतबे हम मनबै छी है। प्रेमी जन से पाबि निराशा नयन नीर बहबै छी है । नोर बहा कऽ अहाँ लय मैया मोती माल गुथे छी हे ।

सभकेर सुधि अहाँ लै छी हे अम्बे, हमरा किए विसरै छी हे

सभकेर सुधि अहाँ लै छी हे अम्बे, हमरा किए विसरै छी हे ठीक है पुत्र अहंकार जननी, से तऽ अहाँ जनै छी हे एहन निष्ठुर किए अहाँ भेलहुँ, कनिको दृष्टि नहि दै छी है सैण-क्षण पल-पल ध्यान करे , नाम अहीं कार पै छी हं नारि-दिवस हम तै रहै छी, दर्शन विनु तरसे छी है छी जगदंबा, जग अवलम्बा, तारिणि तण बने छी हमरा वेरा ने तर्क छ, पापी शनि देव छी है। सब के सुधि अहाँ लै छी हे अम्बे