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bishahari geet विषहरि

 साओन मास नागपञ्चमी भेल । विषहरि गहवर सोहावन भेल । केओ नीपे गहवर केओ चौपारि । हमही अभागिन निपी दुआरि । केओ लोढ़े अढूल केओ बेलपत्र । हमहु अभागिन हरियर दूबि। केओ माँगे अनधन केओ माँगे पूत । हमहू अभागिन सिरक सिन्दूर

जखन गगन घन गरजत सजनी गे। सुनि हहरत जीव मोरबटगवनी

जखन गगन घन गरजत सजनी गे। सुनि हहरत जीव मोर सजनी गे । प्राणनाथ परदेश गेल सजनी गे । चित भेल चान चकोर सजनी गे । एकसरि भवन हम कामिनि सजनी गे । दामिनी लेल जीव मोर सजनी गे । दामिनी दमकि डेराओल सजनी गे । आब ने बचत जीव मोर सजनी गे । झिंगुर चमकत चहुँ ओर सजनी गे । कुहुकत कोयल मोर सजनी गे । से सुनि जिय घबड़ायल सजनी गे । यौवन कयलक घोर सजनी गे। भनहि विद्यापति गाओल सजनी गे । मन जुनि करिय उदास सजनी गे। सभसँ पैघ धैरज थिक सजनी गे । भ्रमर आओत तोर पास सजनी गे।

बहिना कोना का कटबै साओन राति अन्हरिया, पिया छेबटगवनी

बहिना कोना का कटबै साओन राति अन्हरिया, पिया छे नोकरिया ना । अन्हारि, सूझय आ ने दुआरी । एक राति बहिना कोना कऽ सुतला पिया के पलगिया, पिया छै नोकरिया ना । सखी सब झुमि-झुमि गाबय गीत, दूर हम्मर मोनक मीत । जाई छै काँच अमेरिका ॥ पिया छे नोकरिया ना

प्रथमहि गेल धनि प्रीतम पास सजनी गे, हिरदय अधिक बटगवनी

प्रथमहि गेल धनि प्रीतम पास सजनी गे, हिरदय अधिक भेल लाज सजनी गे। ठाढि भेलि नि अंगों नहि डोलय, हेम-सुरुति सनि कर धए लेल पहु पास बैसाए सजनी गे, बैसलि रहलि धनि वदन झुकाए सजनी गे । मुख हेरि ताकए भमर झाँपि लेल सजनी गे, आँकम भरिके कमलमुखि लेल सजनी गे । भनहि विद्यापति देह सुमति सजनी गे,पुरुषक नहि किछु आस सजनी गे।

आज देखल एक कामिनि रे, नवदायिनि नेहा । बटगवनी

आज देखल एक कामिनि रे, नवदायिनि नेहा । नोट बसन लखि आतुर रे, जनु जलद सनेहा । विसरल गिरि नयना चल रे, लज्जित चाने । तसु मुख लखि नहि बरजल रे, अति सहथि अपमान ॥ अमल कमल दल गीत रे, लखि लखि नैन विशाल। जनि लज्जित भैरव गणपति रे, करू विपिन निवासे ।। युवजन मानस टाटक रे, अनुछल कर चोरी । जनु कुच युग बान्हल रे, दृढ़ कंचुकी डोरी ।। हर्षनाथ भजन दै रे, नागर अनुमान । पूर्व जनम हम देखल रे, लोचन अभिरामा ।