जखन गगन घन गरजत सजनी गे। सुनि हहरत जीव मोर सजनी गे । प्राणनाथ परदेश गेल सजनी गे । चित भेल चान चकोर सजनी गे । एकसरि भवन हम कामिनि सजनी गे । दामिनी लेल जीव मोर सजनी गे । दामिनी दमकि डेराओल सजनी गे । आब ने बचत जीव मोर सजनी गे । झिंगुर चमकत चहुँ ओर सजनी गे । कुहुकत कोयल मोर सजनी गे । से सुनि जिय घबड़ायल सजनी गे । यौवन कयलक घोर सजनी गे। भनहि विद्यापति गाओल सजनी गे । मन जुनि करिय उदास सजनी गे। सभसँ पैघ धैरज थिक सजनी गे । भ्रमर आओत तोर पास सजनी गे।
बम-बम भैरो हो भूपाल, अपनी नगरिया भोला, खेबि लगाबऽ पार । कथी के नाव-नेवरिया, कथी करूआरि, कोने लाला खेवनहारे, कोन उतारे पार । सोने केर नाव-नेवरिया, रूपे करूआरि, भैरो लाला खेवनहारे, भोला उतारे पार । जँ तोहें भैरो लाला खेबि लगायब पार, मोतीचूर के लडुआ चढायब परसाद । हाथी चलै, घोड़ा चलै, पड़ै निशान, बाबा के कमरथुआ चलै;, उठै घमसान । छोटे-मोटे भैरो लाला, हाथीमे गुलेल, शशिधर के दोगे-दोगे रहथि अकेल सखि हे सुनै छलिएन शिव बड़ सुन्दर, मुदा देख छिऐ रूप भयंकर है| सखि हे सुनै छलिऐन शिव औता गज चलि हे, मुदा शिव ऐला बड़द चढ़ा है । सखि हे सुनै छलिऐन शिव के पिताम्बर हे, मुदा देखे छिऐन ओढने बाघम्बर हे । भनहि विद्यापति गावल, शिव सुन्दर वर गौरी पावल
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