आज देखल एक कामिनि रे, नवदायिनि नेहा । नोट बसन लखि आतुर रे, जनु जलद सनेहा । विसरल गिरि नयना चल रे, लज्जित चाने । तसु मुख लखि नहि बरजल रे, अति सहथि अपमान ॥ अमल कमल दल गीत रे, लखि लखि नैन विशाल। जनि लज्जित भैरव गणपति रे, करू विपिन निवासे ।। युवजन मानस टाटक रे, अनुछल कर चोरी । जनु कुच युग बान्हल रे, दृढ़ कंचुकी डोरी ।। हर्षनाथ भजन दै रे, नागर अनुमान । पूर्व जनम हम देखल रे, लोचन अभिरामा ।
बम-बम भैरो हो भूपाल, अपनी नगरिया भोला, खेबि लगाबऽ पार । कथी के नाव-नेवरिया, कथी करूआरि, कोने लाला खेवनहारे, कोन उतारे पार । सोने केर नाव-नेवरिया, रूपे करूआरि, भैरो लाला खेवनहारे, भोला उतारे पार । जँ तोहें भैरो लाला खेबि लगायब पार, मोतीचूर के लडुआ चढायब परसाद । हाथी चलै, घोड़ा चलै, पड़ै निशान, बाबा के कमरथुआ चलै;, उठै घमसान । छोटे-मोटे भैरो लाला, हाथीमे गुलेल, शशिधर के दोगे-दोगे रहथि अकेल सखि हे सुनै छलिएन शिव बड़ सुन्दर, मुदा देख छिऐ रूप भयंकर है| सखि हे सुनै छलिऐन शिव औता गज चलि हे, मुदा शिव ऐला बड़द चढ़ा है । सखि हे सुनै छलिऐन शिव के पिताम्बर हे, मुदा देखे छिऐन ओढने बाघम्बर हे । भनहि विद्यापति गावल, शिव सुन्दर वर गौरी पावल
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