जखन गगन घन गरजत सजनी गे। सुनि हहरत जीव मोर सजनी गे । प्राणनाथ परदेश गेल सजनी गे । चित भेल चान चकोर सजनी गे । एकसरि भवन हम कामिनि सजनी गे । दामिनी लेल जीव मोर सजनी गे । दामिनी दमकि डेराओल सजनी गे । आब ने बचत जीव मोर सजनी गे । झिंगुर चमकत चहुँ ओर सजनी गे । कुहुकत कोयल मोर सजनी गे । से सुनि जिय घबड़ायल सजनी गे । यौवन कयलक घोर सजनी गे। भनहि विद्यापति गाओल सजनी गे । मन जुनि करिय उदास सजनी गे। सभसँ पैघ धैरज थिक सजनी गे । भ्रमर आओत तोर पास सजनी गे।
Maithli lokgeet