नदिया के तीरे तीरे चलु सखि धीरे धीरे । कि आहे उधो बिनु हरि नदिया लगय भयाओन रे की गेलियै जे फूलक बाड़ी साड़ी मोर अटकल गाड़ी। कि आहे उधो हरि बिनु साड़ी क्यो ने छोड़ाबय रे की । जहिया सँ मधुपुर गेला कुबजी के बस भेला कि आहे उधो कुबजा सौतिनिआ कोना निबेरब रे की जाहि बाटे हरि गेला दुभिया जनमि गेल । कि आहे उधो दुभिया सुरतिया हिया मोर बोले रे की।
बम-बम भैरो हो भूपाल, अपनी नगरिया भोला, खेबि लगाबऽ पार । कथी के नाव-नेवरिया, कथी करूआरि, कोने लाला खेवनहारे, कोन उतारे पार । सोने केर नाव-नेवरिया, रूपे करूआरि, भैरो लाला खेवनहारे, भोला उतारे पार । जँ तोहें भैरो लाला खेबि लगायब पार, मोतीचूर के लडुआ चढायब परसाद । हाथी चलै, घोड़ा चलै, पड़ै निशान, बाबा के कमरथुआ चलै;, उठै घमसान । छोटे-मोटे भैरो लाला, हाथीमे गुलेल, शशिधर के दोगे-दोगे रहथि अकेल सखि हे सुनै छलिएन शिव बड़ सुन्दर, मुदा देख छिऐ रूप भयंकर है| सखि हे सुनै छलिऐन शिव औता गज चलि हे, मुदा शिव ऐला बड़द चढ़ा है । सखि हे सुनै छलिऐन शिव के पिताम्बर हे, मुदा देखे छिऐन ओढने बाघम्बर हे । भनहि विद्यापति गावल, शिव सुन्दर वर गौरी पावल
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