मइया आबि रहल छथि हुनकर नुपूर रुनझुन बाजैन हे ।
सिंह चढ़ल एक कमल विराजित ताहि ऊपर खप्पर लेने है
कारी केश हुनक अति सुन्दर धरती लोटन है।
रुण्ड मुण्ड सँ देह नुकौने रूप बनौने हे मया आवि० ।।
अस्त्र-शस्त्र के धारण कयने खल खल साधन है।
येह धीकि काली दुर्गा तारा भगति उधारनि हें ।मैया०1
जय जय अम्बे जय जगदम्बे जगत उधान है।
सेवक सब कलजोड़ि ठाढ़ छथि गोड लगै छधि है मैया०।।।
बम-बम भैरो हो भूपाल, अपनी नगरिया भोला, खेबि लगाबऽ पार । कथी के नाव-नेवरिया, कथी करूआरि, कोने लाला खेवनहारे, कोन उतारे पार । सोने केर नाव-नेवरिया, रूपे करूआरि, भैरो लाला खेवनहारे, भोला उतारे पार । जँ तोहें भैरो लाला खेबि लगायब पार, मोतीचूर के लडुआ चढायब परसाद । हाथी चलै, घोड़ा चलै, पड़ै निशान, बाबा के कमरथुआ चलै;, उठै घमसान । छोटे-मोटे भैरो लाला, हाथीमे गुलेल, शशिधर के दोगे-दोगे रहथि अकेल सखि हे सुनै छलिएन शिव बड़ सुन्दर, मुदा देख छिऐ रूप भयंकर है| सखि हे सुनै छलिऐन शिव औता गज चलि हे, मुदा शिव ऐला बड़द चढ़ा है । सखि हे सुनै छलिऐन शिव के पिताम्बर हे, मुदा देखे छिऐन ओढने बाघम्बर हे । भनहि विद्यापति गावल, शिव सुन्दर वर गौरी पावल
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