है जगदम्बा जय माँ काली प्रथम प्रणाम करै छी हे ।
नहि जान हम सेवा पूजा अटपट गीत गबय छी है।
सुनलहुँ कतेक अधम के मैया मनवांछित फल दै छी है ।
पुत्र सम जानि चरण सेवक के जन्मक कष्ट हरै छी है।
विपतिक हाल कहब की है मैया आशा लागि जपै छो है ।
मनक मनीरथ मनहि में राखि मंदिर तक पहुचे छी हे ।
अहाँक चरण के दस कहाबी एतबे हम मनबै छी है।
प्रेमी जन से पाबि निराशा नयन नीर बहबै छी है ।
नोर बहा कऽ अहाँ लय मैया मोती माल गुथे छी हे ।
Comments
Post a Comment