हमर विनय श्री रामचन्द्र जी सँ कनी कहबनि यौ हनुमान
लछुमन दोख कियो नहि देवनि, रावण हरलक ज्ञान,
कनी कहबनि यो हनुमान ।
जं एहि वन मे रावण आओत, तेजब हम परान,
कनी कहबनि यो हनुमान ।
रावणक त्रस बहुत तड़पौलक, थर-थर काँपय प्राण,
कनी कहबनि यौ हनुमान
हमर विनय श्री रामचन्द्र जी से कनी कहवनि यो हनुमान
Comments
Post a Comment