कमल-कली कोना तेजल सजनी गे, पहु छथि देशक दूर सजनी
राखल पान सुबासल सजनी गे,
अपनहि हाथे लगाओल सजनी गे तखनुक पीति केहन छल सजनी गे.
अपनहि लेल पहु कोर सजनी गे । ठाडी छलहुँ हम कदम तर सजनी गे, तरु दूसल मोर मूह सजनी गे नयनक काजर स्याही भेल सजनी गे, अपनहि हाथ सऽ लिखब सजनी गे । चारू कात लीखब कुशल सजनी गे,
बीचमे अपन वियोग सजनी गे।
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