अहाँ जगत-जननी महतारी छी
कालिका दुलारी छी ना ।।
अहाँ छिअइ मिथिला बासी ।
हम सब वसी मिथिला काशी
हम त अहाँके चरण के पुजारी छी
कालिका दुलारी छी ना ।
अहाँ बसी मिथिला देश
हम सब कटड छो कलेश
अहाँ सुख सम्पत्ति केर अटारी छीं
कालिका दुलारी छी ना ।
अहाँक रह ज़र
सेवा कर जरूर
अहाँ सासुर बसि नैहर विसराबै छी
कालिका दुलारी छी ना ।
अहाँ जगत जननी महतारी छ।
कालिका दुलारी छी ना ।
Comments
Post a Comment